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न्यायालय के निर्णय के कारण आरक्षण की सीमा बढ़ाने की गुंजाइश नहीं: सरकार

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नयी दिल्ली: सरकार ने आज कहा कि आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने की मंशा सबकी रहती है लेकिन उच्चतम न्यायालय द्वारा 50 प्रतिशत की सीमा तय करने के फैसले के कारण इसे बढ़ाने की कोई गुंजाइश नहीं है, साथ ही सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के पास ऐसा कोई प्रस्ताव भी नहीं है।

संविधान अनुसूचित जातियां आदेश संशोधन विधेयक 2017 पर चर्चा का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने यह भी स्पष्ट किया कि हमारी सरकार ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजातियों के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं शैक्षणिक सशक्तिकरण की दिशा में काम को तेजी से आगे बढ़ाया है।

उन्होंने कहा कि आरक्षण की व्यवस्था समाज में व्याप्त विषमताओं को ध्यान में रखकर की गई है। ये विषमताएं जब तक जारी रहेंगी तब तक आरक्षण की व्यवस्था जारी रहेंगी। भाजपा आरक्षण की पक्षधर है और इस बारे में किसी को शंका करने की जरूरत नहीं है।

गहलोत ने कहा कि आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने की मंशा सबकी रहती है। उच्चतम न्यायालय के निर्णय में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं होने का उल्लेख होने के कारण इसकी कोई गुंजाइश नहीं हैं। आज की परिस्थिति में मंत्रालय के पास कोई प्रस्ताव भी नहीं है।

उन्होंने कहा कि दलितों के खिलाफ अत्याचार को रोकने के लिए मोदी सरकार ने प्रभावी कदम उठाये हैं और इस बारे में कानून को सख्त बनाया है। अब सिर मुंड़ने, जूते की माला पहनाने, मूंछ मुंड़ने जैसे कार्यो को भी अपराध की श्रेणी में रखा गया है।

मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को मंजूरी दे दी।

संविधान अनुसूचित जातियां आदेश संशोधन विधेयक 2017 पेश किया गया जिसमें ओडिशा की अनुसूचित जातियों की सूची में सुआलगिरि और स्वालगिरि को शामिल करने का प्रावधान किया गया है।

ये समुदाय सबाखिया जाति के समरूप हैं जिसे पहले ही ओडिशा की अनुसूचित जाति की सूची में शामिल किया जा चुका है। जारी

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