सरकार की तानाशाही फैसले से हजारों स्कूल बंद हो जाएंगे: विनोद
युक्तियुक्तकरण निजी स्कूलों को लाभ पहुंचाने का षडयंत्र
महासमुंद। पूर्व संसदीय सचिव विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने कहा कि युक्तियुक्तकरण के नाम पर प्रदेश के शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से चौपट कर निजी स्कूलों को फायदा पहुंचाने का षडयंत्र भाजपा सरकार द्वारा रचा जा रहा है। यह तरीका छत्तीसगढ़ के शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद कर देगा और इससे हजारों स्कूल बंद हो जाएंगे। छत्तीसगढ़ के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब प्रधानपाठक को अतिशेष बनाया जा रहा है। राजस्व ग्राम के शालाओं को कम दर्ज संख्या का हवाला देकर बंद किया जाना पूरी तरह से अन्याय है। क्योंकि, शिक्षा और स्वास्थ्य की प्राथमिक व्यवस्था प्रत्येक व्यक्ति और ग्राम के लिए किया जाना सरकार की जिम्मेदारी है। इससे ना केवल शिक्षक अतिशेष होंगे, अपितु संबंधित ग्रामों के बच्चों को शिक्षा से वंचित होना पड़ेगा। अनेक बच्चे ऐसे हैं, जो अधिक दूरी के कारण स्कूल नहीं जा पाते। इस व्यवस्था के तहत स्कूल बंद होने से इन बच्चों की शिक्षा पर अधिक प्रभाव पड़ेगा।
चंद्राकर ने कहा कि युक्तियुक्तकरण के नाम पर लिए गए तानाशाही फैसले से हजारों स्कूल बंद हो जाएंगे। इन स्कूलों के प्रधान पाठक व शिक्षकों को अतिशेष की सूची में डाल दिया जाएगा। वहीं, षडयंत्र पूर्व शिक्षकों की रिक्त पदों को भी खत्म करने का खेल हो रहा है। बिना प्रभावित वर्ग, पालकों के प्रतिनिधि और शिक्षक संघों की राय लिए मनमानी पूर्ण फैसला एकतरफा थोपा जाना पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है। छत्तीसगढ़ में 57 हजार से अधिक शिक्षकों के पद रिक्त हैं, वर्षों से शिक्षक प्रमोशन की बाट जोह रहे हैं, इस सरकार में शिक्षकों के स्थानांतरण को लेकर कोई पॉलिसी नहीं बनी है और ऐसे में युक्तियुक्तकरण के नाम पर यह सरकार केवल शिक्षकों का भयादोहन करना चाहती है। प्रदेश में हर महीने सैंकड़ों की संख्या में शिक्षक रिटायर हो रहे हैं। लेकिन, यह सरकार पिछले डेढ़ साल से एक भी पद पर नियमित शिक्षक की भर्ती नहीं कर पाई है। सरकार की दुर्भावना के चलते स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट स्कूलों की बदइंतजामी सर्वविदित है। भाजपा की सरकार नहीं चाहती कि छत्तीसगढ़ के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध हो सके।
चंद्राकर ने कहा कि युक्तियुक्तकरण के नाम पर स्कूलों को मर्ज किए जाने से न केवल शिक्षक बल्कि उन स्कूलों से संलग्न हजारों की संख्या में रसोईया, स्वीपर और महिला स्व-सहायता समूह जो स्कूलों में मध्यान भोजन तैयार करते हैं उनके समक्ष भी आजीविका का संकट उत्पन्न हो जाएगा।