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जिला सलाहकार समिति की बैठक में दी गई प्रसव-पूर्व निदान तकनीक अधिनियम की जानकारी

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धमतरी। जिला सलाहकार समिति की बैठक 14 दिसम्बर को आयोजित की गई, जिसमें जिले मंे संचालित सोनोग्राफी सेंटर संचालकों को जानकारी देते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. डी.के. तुरे ने बताया कि प्रसव-पूर्व निदान तकनीक अधिनियम 1994 के तहत प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण अथवा जांच करना पूरी तरह प्रतिबंधित है। ऐसा करते पाए जाने पर संचालक के विरूद्ध 50 हजार रूपए का जुर्माना एवं तीन साल के कठोर कारावास का प्रावधान है। यह भी बताया गया कि सोनोग्राफी सेंटर में फॉर्म-एफ पूरी तरह से भरना अनिवार्य है। सोनोग्राफी मरीज का पूरा स्थायी पता, मोबाइल नंबर और आधार कार्ड का उल्लेख होना भी जरूरी है और इसका सोनोग्राफी सेंटर संचालकों को ध्यान रखना होगा। साथ ही रेफरल फॉर्म में डॉक्टर का पंजीयन, नाम, सोनोग्राफी के कारण का उल्लेख सहित मरीज का सहमति पत्र भी जरूरी होगा। संचालकों को निर्देशित किया गया कि वे अपनी संस्थाओं में नीले रंग के बोर्ड पर सफेद रंग से ‘प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण कानूनन अपराध है‘, लिखा हुआ प्रदर्शित अनिवार्य रूप से करें। साथ ही सोनोग्राफी से संबंधित मरीज का पूर्ण दस्तावेज संधारित करना भी उस सोनोग्राफी संस्था की जिम्मेदारी होगी। बैठक मंे प्रथम त्रैमास की गर्भवती माताओं से लिए जाने वाले शुल्क को एक हजार रूपए से घटाकर 800 रूपए करने का सुझाव रखा, जिसे सभी सोनोग्राफी संस्थाओं के संचालकों ने अपनी सहमति प्रकट की।

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