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आखिर क्यों एकादशी व्रत के दिन घर में नहीं बनते चावल

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हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का बहुत महत्व बताया जाता है. कहते हैं इस व्रत को करने से न केवल पाप नष्ट होते हैं बल्कि मोक्ष की प्राप्ति भी होती है. हर महीने में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को यह व्रत किया जाता है. हर व्रत से जुड़े कुछ खास नियम भी होते हैं जिनका पालन अवश्य रूप से किया जाना चाहिए. ठीक इसी तरह एकादशी व्रत से जुड़े भी कुछ नियम है जिनमे से एक है कि इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए और जो ये व्रत करता है उनके घर में इस दिन चावल नहीं बनाया जाता. इस नियम के बारे में हम सब जानते तो हैं लेकिन इसके पीछे कारण क्या है ये शायद हर कोई नहीं जानता है.
ये है एकादशी पर चावल न खाने का धार्मिक कारण
अगर धार्मिक नजरिए से देखें तो चावल को तामसिक भोजन में शामिल किया गया है. जबकि एकादशी का व्रत मन व सभी इंद्रियों पर कंट्रोल करने के उद्देश्य से रखा जाता है. ऐसे में इस दिन चावल खाने की मनाही बताई गई है. पुराणों में बताया गया है कि जब महर्षि मेधा ने अपने शरीर का त्याग किया तो उनका जन्म चावल के रूप में हुआ था जिसके कारण चावल को सजीव माना गया है. यही कारण है कि चावल का सेवन इस दिन निषेध है.
इस वजह से भी एकादशी के दिन चावल से रखते हैं दूरी
एकादशी व्रत पर चावल न खाने का एक और कारण माना जाता है वो ये कि चावल में जल प्रचूर मात्रा में होता है और पानी पर चंद्रमा का प्रभाव सबसे ज्यादा देखने को मिलता है, चंद्रमा मन से भी जुड़ा है ऐसे में इस दिन चावल का सेवन करने का सीधा असर मन पर पड़ता है जिससे व्रत का नियम पूरा करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इसलिए इस दिन चावल को निषेध बताया गया है.

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