पूणार्हुति महाआरती के साथ शिव मंदिर में पंच देवों की हुई प्राण-प्रतिष्ठा

महासमुंद। जगत विहार कालोनी में पूणार्हुति महाआरती के साथ शिव मंदिर में पंच देवों की प्राण-प्रतिष्ठा पूरी हुई। गौरतलब है कि जिले में यह पहला मंदिर है, जो नागर शैली में निर्मित है।
जगत विहार कालोनी निवासी प्रकाश चंद्राकर, दिलीप चंद्राकर, भूपेंद्र चंद्राकर, हरिकृष्ण भार्गव ने बताया कि यह कालोनी साल 2003 में 24 एकड में जमीन पर बसी है। इसमें कुल चार सौ मकान हैं, लिहाजा यहां 12 हजार वर्गफीट जमीन पर गार्डन मंदिर के लिए आरक्षित किया गया। कालोनी में अभी भी कुछ मकान निर्माणाधीन हैं। जब यहां मंदिर निर्माण की बात चली तो शिव मंदिर निर्माण के लिए वास्तुकार पूर्व अभियंता बीआर साहू ने एक संरचना डिजाइन की। यह डिजाइन भारत की प्राचीनतम नागर शैली को आधार मानकर किया गया है। मंदिर निर्माण में एक खास बात यह है कि हजारों साल तक महफूज रहे, इसके लिए चिमनी ईंट को काट काटकर कार्भिंग कर मंदिर को सुंदरता प्रदान की गई है। यजमानों के पूजा के समय सफोकेशन न हो आदि को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त जगह है। गर्भगृह के सामने सभा मंडप, भजन मंडप, नृत्य मंडप के लिए पर्याप्त जगह है। एक कलश सभा मंडप में एक तथा गर्भगृह में एक पश्चिम मुखी गौरी गणेश बिठाया गया है। ताकि, पूजा करने वालों का मुख पूर्व दिशा की ओर हो, इसमें प्रतिष्ठित नर्मदेश्वर शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश, कीर्तिमुख आदि पांच देवों की प्रतिमाएं भेड़ाघाट से मंगाई गई हैं।
प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम 25 से 27 फरवरी तक चला। नगर पंडित पंकज तिवारी ने अपने पांच विप्रजन सहयोगियों के साथ देवों की प्राण-प्रतिष्ठा की। महाशिवरात्रि को मंदिर में देवों की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद चार पहर रूद्राभिषेक हुआ। 27 फरवरी को आखिरी दिन पूणार्हुति के बाद महाआरती, प्रसादी वितरण किया गया। पूरे तीन दिनों तक यहां आम भंडारा जारी रहा। शहर में नागरशैली के इस पहले मंदिर को देखने जिले भर से लोग पहुंच रहे हैं।