अपने कर्तव्य को पूरा करते हुए सर्वोच्च बलिदान देने वाले पुलिसकर्मियों का देश सदैव ऋणी रहेगा : अमित शाह

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की
नई दिल्ली 21 अक्टूबर 2024। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर गृह राज्यमंत्री बंडी संजय कुमार, केन्द्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, निदेशक, आसूचना ब्यूरो (IB) तपन कुमार डेका, केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) के वरिष्ठ अधिकारियों सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
इस अवसर पर अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पुलिस बलों के जवान कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और कच्छ से किबिथू तक देश की सीमाओ को सुरक्षित रखते हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस बलों के जवान दिन-रात, उत्सव और आपदा, भीषण गर्मी, बारिश या शीतलहर के दौरान सीमाओं पर अडिग रहकर हमारी और सीमाओं की सुरक्षा के लिए सदैव तैनात रहते हैं।
अमित शाह ने कहा कि पुलिस स्मारक के मध्य में स्थापित शिला हमारे जवानों के कर्तव्य पर चलने के अडिग फैसले, उनकी प्रखर देशभक्ति और सर्वोच्च बलिदान देने की उनकी उत्कंठा की प्रतीक है। गृह मंत्री ने कहा कि आज ही के दिन 1959 में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के 10 जवानों ने चीनी सेना का डटकर मुकाबला करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी और इसीलिए हम इस दिन को पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाते हैं। गृह मंत्री ने कहा कि नरेन्द्र मोदी जी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद निर्णय लिया कि दिल्ली के मध्य में इन जवानों के बलिदान के सम्मान में एक पुलिस स्मारक बनाया जाए। उन्होंने कहा कि ये पुलिस स्मारक हमारे युवाओं को प्रेरणा देता रहेगा और नागरिकों को ये स्मरण कराता रहेगा कि आज हम सुरक्षित हैं और विकास के रास्ते पर चल रहे हैं, तो इसके पीछे इन हज़ारों जवानों का सर्वोच्च बलिदान है। उन्होंने कहा कि 36,468 पुलिस बलों के कर्मियों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है और इसी कारण देश प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में 216 पुलिसकर्मियों ने कर्तव्य को पूरा करते हुए अपने प्राण न्योछावर किए हैं और हमारा देश इन जवानों का सदैव ऋणी रहेगा।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि देश की सुरक्षा में हमारे पुलिस बलों द्वारा सर्वोच्च बलिदान देने की एक परंपरा रही है। हमारा गौरवशाली इतिहास भी रहा है कि हिमालय की बर्फीली दुर्गम चोटियों से लेकर, कच्छ और बाड़मेर के विषम मरुस्थलों और विशाल सागर की निर्भीक होकर रक्षा करने वाले जवान ही देश को सुरक्षित रखते हैं।
अमित शाह ने कहा कि कश्मीर, वामपंथी उग्रवाद और उत्तर-पूर्व में दशकों से अशांति का माहौल था लेकिन पिछले एक दशक में हमारे सुरक्षाबलों की कर्तव्यपरायणता के कारण हम इन जगहों पर शांति स्थापित करने में सफल रहे हैं। उन्होंने कहा, लेकिन हमारी लड़ाई अभी समाप्त नहीं हुई है। ड्रोन के उभरते खतरे, नार्कोटिक्स कारोबार, साइबर अपराध, AI के माध्यम से अशांति फैलाने के प्रयास, धार्मिक भावनाएं भड़काने के षडयंत्र, घुसपैठ, अवैध हथियारों की तस्करी और आतंकवाद जैसी चुनौतियां आज हमारे सामने खड़ी हैं। श्री शाह ने कहा कि खतरे और चुनौतियां कितनी भी बड़ी हों, हमारे जवानों के अडिग प्रण के सामने वो टिक नहीं सकेंगी।