फोर्टिफाइड चावल: सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से निपटने के लिए केंद्र की महत्वाकांक्षी पहल

नई दिल्ली, 18 अक्टूबर 2024। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं आदि सहित सरकार की सभी योजनाओं के तहत फोर्टिफाइड चावल उपलब्ध कराने की पहल को जुलाई 2024 से दिसंबर 2028 तक अपने वर्तमान स्वरूप में जारी रखने की मंजूरी दे दी है। केंद्र देश में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से निपटने के लिए एक पूरक रणनीति के रूप में महत्वाकांक्षी पहल जारी रख रहा है।
यह कहने की जरूरत नहीं है कि वैज्ञानिक प्रमाण इस बात का समर्थन करते हैं कि फोर्टिफाइड चावल का सेवन सभी के लिए सुरक्षित है, जिसमें थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया जैसी हीमोग्लोबिनोपैथी से पीड़ित व्यक्ति भी शामिल हैं।
खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य पदार्थों का फोर्टिफिकेशन) विनियम, 2018 के अनुसार, भारत में फोर्टिफाइड चावल की पैकेजिंग पर शुरू में थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित व्यक्तियों के लिए स्वास्थ्य सलाह देना आवश्यक था। इस सलाह की आवश्यकता पर एक वैज्ञानिक समिति ने सवाल उठाया था, कोई अन्य देश पैकेजिंग पर इस तरह के लेबल को अनिवार्य नहीं करता है। इसके जवाब में, भारत सरकार के खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) ने इन हीमोग्लोबिनोपैथी वाले लोगों के लिए आयरन-फोर्टिफाइड चावल सुरक्षा का आकलन करने के लिए 2023 में एक कार्य समूह की स्थापना की।
रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि वर्तमान साक्ष्य ऐसे व्यक्तियों के लिए किसी भी सुरक्षा चिंता का समर्थन नहीं करते हैं। फोर्टिफाइड चावल से आयरन का सेवन थैलेसीमिया रोगियों के लिए रक्त आधान के दौरान अवशोषित आयरन की तुलना में न्यूनतम है और आयरन ओवरलोड को प्रबंधित करने के लिए उन्हें केलेशन के साथ इलाज किया जाता है। इसके अलावा, सिकल सेल एनीमिया वाले व्यक्ति हेपसीडिन, एक हार्मोन जो आयरन अवशोषण को नियंत्रित करता है, के स्वाभाविक रूप से बढ़े हुए स्तर के कारण अतिरिक्त आयरन को अवशोषित करने की क्षमता नहीं रखते हैं।
इस मूल्यांकन के बाद भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक की अध्यक्षता वाली एक समिति द्वारा व्यापक समीक्षा की गई। हेमटोलॉजी, पोषण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के विशेषज्ञों वाली समिति ने आयरन मेटाबॉलिज्म, फोर्टिफाइड चावल से आयरन की खुराक की सुरक्षा और वैश्विक लेबलिंग पर अत्‍यधिक साहित्य समीक्षा की।
इस वैश्विक वैज्ञानिक समीक्षा के आधार पर, समिति को इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि आयरन-फोर्टिफाइड चावल इन हीमोग्लोबिनोपैथी वाले व्यक्तियों के लिए स्वास्थ्य के प्रतिकूल है। भारत में सामुदायिक अध्ययन, जिसमें आदिवासी क्षेत्रों के 8,000 से अधिक प्रतिभागी शामिल थे, ने संकेत दिया कि सिकल सेल रोग के लगभग दो-तिहाई रोगियों में आयरन की कमी थी। सिकल सेल एनीमिया या थैलेसीमिया के लिए फोर्टिफाइड चावल के सेवन से होने वाले नुकसान के बारे में कोई विशेष सबूत नहीं मिला है । यह उल्लेखनीय है कि विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन और यू.एस. खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) जैसे संगठन भी पैकेजिंग पर इस तरह की सलाह को अनिवार्य नहीं करते हैं।
भारत में, जहाँ झारखंड और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में फोर्टिफाइड चावल का बड़े पैमाने पर वितरण पहले ही हो चुका है, जहाँ प्रत्येक राज्य में 2,64,000 से अधिक लाभार्थी हैं, आयरन ओवरलोड से संबंधित कोई प्रतिकूल स्वास्थ्य परिणाम आये हैं। इससे समिति की सलाह को छोड़ने की सिफारिश की पुष्टि होती है।