चेन्नई में आयोजित यंग साइंटिस्ट इंडिया में जिले के छात्रों ने प्रस्तुत किया अभिनव प्रोजेक्ट

विद्यार्थियों में वैज्ञानिक जिज्ञासा को प्रोत्साहित करना एवं शोधोन्मुखी दृष्टिकोण विकसित करना
महासमुंद। यंग साइंटिस्ट इंडिया (YSI) 11वां संस्करण कार्यक्रम आज चेन्नई के मदर टेरेसा हॉल में आयोजित किया जा रहा है। जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य से 7 जिलों के 11 विद्यार्थी शामिल हुए हैं। जिसमें महासमुंद जिला के 3 बालिका, 2 बालक और 2 गाइड शिक्षक के साथ इस कार्यक्रम के हिस्सा लिया है।
शासकीय आशी बाई गोलछा विद्यालय से डिगेश सेन, दुर्गेश साहू, हिमांशी टंडन, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गांजर से यामिनी साहू, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बेलसोंडा से मेघना चंद्राकर अपने प्रोजेक्ट का प्रदर्शन अलग-अलग थीम के आधार पर करेंगे। विद्यार्थियों के मार्गदर्शन के लिए शिक्षक चंद्रशेखर मिथलेश और भोलाराम निर्मलकर कार्यक्रम में बच्चों के साथ मौजूद हैं। यंग साइंटिस्ट इंडिया एक राष्ट्रीय स्तर की प्रमुख प्रतियोगिता है जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों में वैज्ञानिक जिज्ञासा को प्रोत्साहित करना एवं शोधोन्मुखी दृष्टिकोण विकसित करना है। यह कार्यक्रम युवा विचारों को अपने अभिनव प्रोजेक्ट द्वारा प्रस्तुत करने, कार्यशालाओं में भाग लेने तथा अग्रणी वैज्ञानिक संस्थाओं के विशेषज्ञों से संवाद करने का एक सशक्त मंच प्रदान करता है।
विद्यार्थियों की इस उपलब्धि पर डीईओ विजय कुमार लहरे, सहायक संचालक सतीश नायर, नन्द कुमार सिन्हा, ,बीईओ महासमुंद लीलाधर सिन्हा, बीईओ बागबाहरा के के वर्मा, बीआरसीसी जागेश्वर सिन्हा, प्राचार्य जी आर सिन्हा शासकीय आशी बाई गोलछा महासमुंद , प्राचार्य शोभा सिंहदेव शासकीय विद्यालय बेलसोंडा, प्राचार्य हरक राम दीवान गांजर, प्राचार्य हिंदी सेजस हेमेंद्र आचार्य, जिला विज्ञान परिषद जगदीश सिन्हा,शाला विकास समिति अध्यक्ष संदीप दीवान, रुपेश कुमार साहू गांजर एवं समस्त शाला परिवार ने बधाई दी है।
आंगनवाड़ी बच्चों का हेल्थ एवं डेली अटेंडेंस मॉनिटरिंग सिस्टम
आंगनवाड़ी में आने वाले छोटे बच्चों के स्वास्थ्य की निगरानी एवं उपस्थिति का सही रिकॉर्ड बनाए रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। आशीबाई गोलछा के छात्र डिगेश सेन इस प्रोजेक्ट में आईओटी एवं सेंसर तकनीक का उपयोग कर एक स्मार्ट सिस्टम विकसित किया है। प्रत्येक बच्चे को आरएफआईडी (RFID) कार्ड प्रदान किया है, जिसके माध्यम से उनकी डेली अटेंडेंस दर्ज होती है। साथ ही, लोड सेंसर एवं आईआर सेंसर से बच्चों का वजन व लंबाई मापी जाती है और बाॅडी मसाज इंडेक्स (Body Mass Index) के आधार पर कुपोषण की स्थिति का पता लगाया जाता है। बच्चों का रोज़ाना शरीर का तापमान रिकॉर्ड करता है जिससे किसी बीमारी की संभावना समय पर पहचानी जा सके। यह सिस्टम मोबाइल, क्लाउड डाटाबेस पर डाटा स्टोर करता है जिससे डॉक्टर एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ता बच्चों की प्रगति पर लगातार निगरानी रख सकते हैं।
आईओटी आधारित होम ऑटोमेशन सिस्टम
आज के युग में ऑटोमेशन हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। दुर्गेश साहू ने घर, ऑफिस एवं इंफ्रास्ट्रक्चर को स्मार्ट बनाने के लिए आईओटी आधारित होम ऑटोमेशन सिस्टम तैयार किया है। जो आज की जरुरतों को के हिसाब से एक बेहतरीन माध्यम है। इस सिस्टम के माध्यम से उपयोगकर्ता इंटरनेट द्वारा पंखा, लाइट, कूलर, फ्रिज, ए.सी., सीसीटीवी आदि डिवाइस को नियंत्रित कर सकता है। इस प्रोजेक्ट में मैनुअल स्विचिंग का विकल्प भी रखा गया है ताकि इंटरनेट या सिस्टम फेलियर की स्थिति में उपकरणों को मैन्युअली ऑपरेट किया जा सके। इसमें Cat-6 केबल का उपयोग किया गया है, जिसमें डेटा और पावर दोनों सप्लाई एक साथ होती है। यह प्रोजेक्ट वर्तमान ऑटोमेशन जरूरतों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है।
परिवहन हेतु दस्तावेज़ सत्यापन सिस्टम
हिमांशी टंडन कक्षा 11वीं की छात्रा ने वाहनों के दस्तावेज जांच में लगने वाले समय की बचत के लिए प्रोजेक्ट तैयार किया है। हिमांशी बताते हैं कि टोल प्लाजा से जब कोई वाहन गुजरता है, तो आरटीओ अधिकारी वाहन के दस्तावेज़ों जैसे ड्राइविंग लाइसेंस, प्रदूषण प्रमाण पत्र, बीमा, आरसी बुक आदि की जांच करते हैं। इन प्रमाण पत्रों की जांच करने में काफी समय लगता है। यह प्रोजेक्ट दस्तावेज़ों की डिजिटल रूप से जांच करता है, वैध दस्तावेज़ वाले वाहनों को पास प्रदान करता है, अवैध दस्तावेज़ वाले वाहनों को रोकता है तथा उन पर डिजिटल भुगतान के माध्यम से जुर्माना भी लगा सकता है। यह प्रोजेक्ट वाहनों की निगरानी और दस्तावेज़ों की जांच के लिए उपयोगी है, जिससे अधिकारियों का समय बचता है।
लेग हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम (स्मार्ट शूज)
यामिनी साहू, बागबाहरा गांजर की शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की छात्रा यामिनी साहू स्मार्ट शूज बनाया है। यामिनी बताती है कि जब पैरों द्वारा जूतों पर लगे सेंसर पर दबाव डाला जाता हैं तो सेंसर माइक्रोकंट्रोलर को सिग्नल भेजता है और माइक्रोकंट्रोलर डिस्प्ले के माध्यम से पैरों द्वारा आरोपित सामान्य या असामान्य दबाव को प्रदर्शित करता हैं। इसके जरिए व्यक्तिगत स्वास्थ्य की निगरानी करता है। साथ ही चोटों से उबरने वाले रोगियों की मदद करता हैं।एथलीटों को प्रशिक्षण के दौरान चोटों से बचने में मदद करता हैं। वृद्धजनों की देखभाल और वृद्धजनों की गतिशीलता एवं असंतुलन के लक्षणों को पता लगाने में मदद करता है।
हेल्दी फ़ूड प्रोसेसिंग
शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बेलसोंडा की मेघना चंद्राकर फूड प्रोसेसिंग प्रोजेक्ट इजात किया है। अक्सर भारत में खोयले या सूखी सब्जियाँ तैयार करना एक पारंपरिक और उपयोगी खाद्य संरक्षण तकनीक है। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में, मौसम के अनुसार महिलाएं सब्जियों और फलों को काटकर धूप में सुखाती हैं ताकि उन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रूप से संग्रहीत किया जा सके। इस तकनीक का उल्लेख चरक संहिता और आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी मिलता है, जहां बताया गया है कि धूप में सुखाने से भोजन की नमी निकल जाती है, वह कीटाणुओं और फफूंद से सुरक्षित रहता है और उसके पोषक तत्व लंबे समय तक संरक्षित रहते हैं। नमी हटने से बैक्टीरिया और फफूंदी का विकास रुकता है।पोषक तत्व सुरक्षित: सुखाने से कुछ विटामिन कम हो सकते हैं, लेकिन खनिज और फाइबर सुरक्षित रहते हैं। मौसम से बाहर भी उपयोग संभव।कम स्थान और हल्का वजन: स्टोर करने और ले जाने में आसान।आयुर्वेदिक दृष्टिकोण: चरक संहिता में सुखाने की प्रक्रिया को खाद्य संरक्षण का महत्वपूर्ण तरीका बताया गया है।