युक्तियुक्तकरण के नए नियम को जन विरोधी निर्णय: डॉ. रश्मि

महासमुंद। कांग्रेस जिला अध्यक्ष डॉ रश्मि चंद्राकर ने भाजपा की विष्णु देव साय सरकार से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सवाल पूछते हुए कहा कि भाजपा की विष्णु देव साय सरकार की प्राथमिकता क्या हैं शराब या शिक्षा आखिर किस ओर जा रहे हमारा छत्तीसगढ़ राज्य सरकार आखिर कर क्या रहा हैं बच्चों के भविष्य से सीधा सीधा खिलवाड़ है ये , शराब को बढ़ावा देकर भी आप लोगों के भविष्य से खेल रहे हैं ,क्या यही सुशासन है आपका एक ओर 67 शराब दुकान खोल दिए और हर गांव में अवैध शराब बिक्री जोरों पर है महुआ शराब बिक्री पर प्रतिबंध लगाने बावजूद खुला सरक्षण दिया जा रहा हैं जबकि नये सेटअप के तहत शिक्षकों की न्यूनतम संख्या में कटौती और युक्तियुक्तकरण के नए नियम को जन विरोधी निर्णय करार देते हुए महासमुंद जिला कांग्रेस अध्यक्ष डॉ रश्मि चंद्राकर ने कहा है कि सरकारी शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने साय सरकार ने षड्यंत्र रचा है, जिससे छत्तीसगढ़ के हजारों स्कूल बंद हो जाएंगे, साय सरकार के इस फैसले का सबसे बड़ा नुकसान आर्थिक रूप से कमजोर और मध्यम वर्ग परिवार के पढ़ने वाले बच्चों पर पड़ेगा। स्कूलों को जबरिया बंद किए जाने से न केवल शिक्षक बल्कि उन स्कूलों से संलग्न हजारों रसोईया, स्वीपर और मध्यान भोजन बनाने वाली महिला स्वसहायता समूह की बहनों के समक्ष जीवन यापन का संकट उत्पन्न हो जाएगा। नए सेटअप के तहत सभी स्तर प्राइमरी, मिडिल, हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलो में शिक्षकों के न्यूनतम पदों में कटौती के चलते युवाओं के लिए नियमित शिक्षक के पद पर नई भर्ती के अवसर भी कम हो जाएंगे शिक्षा के स्तर पर बुरा असर पड़ना निश्चित है। अधिनायकवादी भाजपा सरकार ने इतना बड़ा अव्यवहारिक निर्णय लेने से पहले ना प्रभावित वर्ग से चर्चा की, न ही प्रदेश के भविष्य के बारे में सोचा। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ही प्रदेश में 58000 से अधिक शिक्षकों के पद रिक्त हैं, हर महीने सैकड़ो शिक्षक रिटायर हो रहे हैं, कई वर्षों से शिक्षकों का प्रमोशन रुका हुआ है, स्थानांतरण को लेकर कोई ठोस पॉलिसी बना नहीं पाए, समयमान वेतनमान का विवाद अब तक लंबित है।
महासमुंद जिला कांग्रेस अध्यक्ष डॉ रश्मि चंद्राकर ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी की साय सरकार नहीं चाहती कि छत्तीसगढ़ के बच्चों को उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध हो सके, इसीलिए निजी शिक्षण संस्थानों को लाभ पहुंचाने, सरकारी शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करने का षड्यंत्र रचा गया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार ही प्रदेश के हजारों स्कूल पूरी तरह से शिक्षक विहीन है, पिछले सवा साल से भाजपा की सरकार है, इस दौरान एक भी पद नियमित शिक्षा की नियुक्ति नहीं की गयी। विधानसभा में 33000 शिक्षक के पदों पर भर्ती की घोषणा करके वह प्रक्रिया भी दुर्भावना पूर्वक रोक दी गई, अब युक्तियुक्तकरण और नए सेटअप के नाम पर हजारों स्कूलों को बंद करके शिक्षकों के पद को खत्म करने का अव्यवहारिक फैसला थोपा जा रहा है। सरकार पहले शिक्षकों को प्रमोशन दे, उनके लिये ट्रांसफर पॉलिसी तय करे उसके बाद ही युक्तियुक्तकरण का फैसला ले। नए सेटअप के नाम पर स्कूलों में शिक्षकों के न्यूनतम पदों में कटौती का आदेश तत्काल वापस ले सरकार।