“जब तक नभ में सूर्यचंद्र गंगा में पावन पानी सुखदेव भगत सिंह, राजगुरु अमर क्रांतिवीर बलिदानी।’’

महासमुंद। आस्था साहित्य समिति महासमुंद द्वारा राजगुरु, सुखदेव एवं भगत सिंह के बलिदान दिवस पर साहित्यकार एस चंद्रसेन के निवास पर काव्य गोष्ठी का आयोजन कर काव्यांजलि समर्पित की गई। मुख्य अतिथि समाजसेवी दाऊलाल चंद्राकर, विशिष्ट अतिथि केआर चंद्राकर, पत्रकार उत्तरा विदानी, प्रमोद तिवारी, आनंद तिवारी ‘पौराणिक’ आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम में अध्यक्षता एस चंद्रसेन ने की। आनंद तिवारी ‘पौराणिक’ ने कहा-जब तक नभ में सूर्यचंद्र गंगा में पावन पानी, सुखदेव भगत सिंह, राजगुरु अमर क्रांतिवीर बलिदानी। बंधु राजेश्वर खरे ने छत्तीसगढ़ी में काव्यपाठ करते हुए कहा कि लक्ष्मी बाई, बोस भगत आजाद के चलिस इही नारा बुढ़वा गांधी बबा के कुबरी लाठी चलिस ये इसारा। साहित्यकार सरिता तिवारी ने वो तो दीवाने थे, खुशियों से अंजाने थे गाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। अध्यक्षीय आसंदी से काव्य समर्पित करते हुए एस चंद्रसेन ने कहा कि त्याग तपस्या व्रत पूजा मैं उपासना जगराता हूं, स्वतंत्रता की बलि चढ़े उन रणवीरों की माता हूं। साहित्यकार एवं पत्रकार उत्तरा विदानी ने कहा कि जो चढ़ गए वेदी पर लिए जीवन का मोल इलम आज उनकी जय बोल। कवियत्री डॉ. साधना कसार ने काव्यांजलि अर्पित की-वतन के लिए जो जान हथेली पर रखते हैं, शाने वतन जाने वतन लोग उन्हें कहते हैं।
इस अवसर पर कवि सुरेंद्र अग्निहोत्री एवं सुजाता विश्वनाथन ने कार्यक्रम को नई ऊंचाईयां दी। देश की खातिर हंसते-हंसते गंवा दी अपनी जवानी मत भूलो कभी उनको तुम जरा याद करो कुबार्नी। अपने अनूठे अंदाज में कार्यक्रम का संचालन करते हुए साहित्यकार टेकराम सेन चमक ने पंक्तियां समर्पित करते हुए कहा कि-नमन है वीर जवानों तुमको, नमन तुम्हारी बलिदानी। दाऊलाल चंद्राकर, प्रमोद तिवारी, एमआर विश्वनाथन, पुष्पा चौहान, शिक्षाविद् केआर चंद्राकर ने कहा कि क्रांतिवीरों के बलिदानों से ही हमने आजादी पाई, वीरों ने अपने बलिदान से आजादी के वृक्ष को सींचकर मजबूती और ताजगी दी है।