विकासखंडों में ग्लूकोमा सप्ताह का आयोजन

राजनांदगांव 13 मार्च 2025। राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्प दृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत ग्लूकोमा मुक्त विश्व के लिए एकजुट होना थीम पर जिले के सभी विकासखंडों में 9 से 14 मार्च 2025 तक जागरूकता लाने के लिए ग्लूकोमा सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। ग्लूकोमा सप्ताह अंतर्गत सभी विकासखंडों में नेत्र सहायक अधिकारियों द्वारा मरीज एवं उनके परिजनों को ग्लूकोमा संबंधित जानकारी दी जा रही है। लोगों में 40 वर्ष बाद आंखों में कांच बिंद (ग्लूकोमा) होने की संभावना रहती है। प्रत्येक व्यक्ति को 40 वर्ष होने के पश्चात हर 6 माह में अपने आंखों की जांच नेत्र रोग विशेषज्ञ से कराना चाहिए। लोगों की आंखों में तरल पदार्थ एक्वस ह्यूमर भरा होता है, यह आंख को चिकना बनाये रखता है। यदि तरल के प्रवाह प्रभावित होता है, तो आंख के अंदर दबाव बढ़ जाता है। इसके कारण नेत्र के परदे को क्षति पहुंचती है और देखने में कठिनाई होती है। इस बीमारी से नजर खराब होने के बाद इसका सही उपचार संभव नहीं है, इस बीमारी को काला मोतिया भी कहा जाता है।
ग्लूकोमा होने के प्रमुख कारण में आंखों में तेज दर्द होना, आंख लाल हो जाना है। दृष्टि कमजोर हो जाना, आंखों के चारों ओर रंगीन घेरा नजर आना तथा चश्मा का नम्बर बार-बार बदल जाना है। इसका उपचार तुरंत कराया जाए तो शेष बची हुई नजर को बचाया जा सकता है। ग्लूकोमा का उपचार दवाईयों के सेवन से किया जाता है। विशेष परिस्थित में एक छोटा सा ऑपरेशन से उपचार कर रौशनी बचाया जा सकता है। ग्लूकोमा के संबंध में जानकारी के लिए मेडिकल कालेज राजनांदगांव एवं जिला चिकित्सालय राजनांदगांव नेत्र विभाग से संपर्क किया जा सकता है।