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जिला न्यायालय जशपुर के सभागार में सचेत अभियान के तहत सेमीनार का हुआ

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जशपुरनगर। छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जशपुर के निर्देशानुसार सचेत अभियान के तहत उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के संबंध में विगत दिवस को जिला न्यायालय जशपुर के सभागार में सेमीनार का आयोजन किया गया। सेमीनार में जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीमती अनिता डहरिया ने बताया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत त्रुटि और कमी की परिभाषा अत्यंत विस्तृत की गई है तथा उपभोक्ता के हितों को इस अधिनियम में बहुत स्थान दिया गया है। उन्होंने बताया कि विनिर्माता शब्द में माल बनाने वाले के साथ माल का संयोजन करने वाला, अपना चिन्ह लगाने वाला भी सम्मिलित है। श्रीमती डहरिया ने अधिनियम के अपील संबंधित प्रावधानों के बारे में बताया कि जिला आयोग के आदेश के विरुद्ध 45 दिन की अवधि में राज्य आयोग के आदेश के विरुद्ध 30 दिन की अवधि में राष्ट्रीय आयोग को तथा राष्ट्रीय आयोग के आदेश के विरुद्ध 30 दिन की अवधि में माननीय उच्चतम न्यायालय को अपील पेश कर सकते है।
परिवार न्यायालय के न्यायाधीश श्री जी.एस.कुजांम ने बताया कि परिवार के अनुपस्थित रहने पर भी आयोग को मामले को गुणागुण पर ही तय करना होता है तथा कहा कि कोई भी सामान खरीदने पर रसीद जरूर ले। इससे सरकार को राजस्व भी मिलता है तथा आप एक सही उपभोक्ता कहलाते है। श्री कुजांम ने यह भी बताया कि जिला आयोग मामले की परिस्थितियो के अनुसार अंतरिम आदेश भी कर सकता है। सेमिनार में विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्री अमित जिन्दल ने बताया कि वर्तमान में जिला आयोग को एक करोड़ रूपये तक के मामले को सुनने का, राज्य आयोग को एक करोड़ एक रूपये से दस करोड़ रूपये तक के मामले सुनने का, राष्ट्रीय आयोग को दस करोड़ रूपये से अधिक के मामले सुनने का अधिकार होगा। उन्होंने बताया कि इस अधिनियम में यह प्रावधान है कि जहां परिवार निवास करता है उस स्थान पर वह अपना मामला पेश कर सकता है तथा परिवार की ग्राह्यता का विनिश्चय 21 दिन के भीतर करना होता है। परिवार ग्रहण होने पर दूसरे पक्ष पर नोटिस तामीली से 30 दिन में, परंतु विशेषज्ञ रिपोर्ट आना है तो 5 माह के भीतर मामले का निराकरण करना होता है। कार्यक्रम में ए.डी.जे. कुमारी सुनीता साहू, सी.जे.एम. श्री मनीष दुबे, न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री वैभव धृतलहरे, प्रशिक्षु न्यायाधीश श्री राजेश खलखो एवं न्यायालयीन कर्मचारीगण व अन्य उपस्थित थे।

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