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राहु-केतु को शुभ बनाएं

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सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दो बड़ी खगोलीय घटनाएं हैं. ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण की घटनाओं को शुभ नहीं माना गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार राहु और केतु के कारण ग्रहण की स्थिति बनती है. ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को पाप ग्रह का दर्जा प्राप्त है. ये दोनों ग्रह क्या प्रभाव डालते हैं और इन ग्रहों का स्वभाव कैसा है? इसके बारे में जानते हैं.
राहु और केतु की कथा
राहु केतु की कथा समुद्र मंथन की प्रक्रिया से जुड़ी है. जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन होता है. राहु- केतु एक ही राक्षस के दो भाग बताए जाते हैं. कहते हैं कि समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत कलश निकला तो स्वर्भानु नामक एक दैत्य ने छल से अमृत पान करने की कोशिश की. लेकिन इस दैत्य की हरकत के बारे में चंद्रमा और सूर्य ने भगवान विष्णु को जानकारी दे दी. जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुर्दशन चक्र से इस दैत्य का सिर धड़ से अलग कर दिया. अमृत की कुछ बंदू गले से नीचे उतरने के कारण ये दो दैत्य बन गए और अमर हो गए. सिर वाला हिस्सा राहु कहलाया और धड़ केतु कहलाया. ऐसा माना जाता है कि राहु और केतु इसी बात का बदला देने के लिए समय समय पर चंद्रमा और सूर्य पर ग्रहण लगाते हैं.
राहु- केतु का स्वभाव
ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को प्रभावी ग्रह माना गया है. कलयुग में इन दोनों ग्रहों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण बताई है. इन ग्रहों को छाया ग्रह और मायवी ग्रह भी कहा जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी जीवन में अचानक कुछ बड़ा घटित होता है तो कहीं न कहीं राहु और केतु की भूमिका अहम होती है. इन ग्रहों के बारे में ये भी कहा जाता है कि राहु और केतु राजा से रंक और रंक से राजा भी बना देते हैं. इन ग्रहों की मदद से व्यक्ति की किस्मत रातों रात बदल जाती है.
राहु- केतु के अशुभ फल
राहु और केतु जब कुंडली में अशुभ होते हैं या फिर इनसे कालसर्प दोष, पितृ दोष जैसे अशुभ योगों का निर्माण होता है तो ये जीवन में बहुत परेशानी, बाधा, रोग, असफलता प्रदान करते हैं. मानसिक तनाव, अज्ञात भय और भ्रम की स्थिति भी प्रदान करते हैं. इसलिए इन दोनों ग्रहों को शुभ रखने के लिए संभव प्रयास करने चाहिए. गलत संगत और नशा आदि से भी व्यक्ति को दूर रहना चाहिए.
उपाय
– मां दुर्गा की पूजा करें.
– भगवान शिव की पूजा करें और जल चढ़ाएं.
– गणेश जी की पूजा से केतु शांत होते हैं
– भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने भी राहु-केतु शांत होते हैं.

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