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रंभा तीज 13 जून को : व्रत महिलाओं को प्रदान करता है सुंदरता और निरोगी काया

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पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास का शुक्ल पक्ष व्रत और पूजा पाठ के लिए विशेष है. शुक्ल पक्ष में कई महत्वपूर्ण व्रत, पर्व और पूजा के मुहूर्त बन रहे हैं. हिंदू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष का आरंभ 10 जून के बाद यानि सूर्य ग्रहण और अमावस्या की तिथि के बाद होने जा रहा है. 11 जून को प्रतिपदा की तिथि से शुक्ल पक्ष लग रहे हैं.
13 जून, रविवार को ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है. महिलाओं के लिए तृतीया की तिथि विशेष माना गई है. इस तृतीया की तिथि को रंभा तीज भी कहा जाता है. इस तीज का महिलाओं के लिए विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर व्रत का संकल्प लेकर भगवान शिव, माता पार्वती और लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है. इस दिन रंभा अप्सरा को याद किया जाता है. इस दिन ऐसा करने से स्त्रियों को सौभाग्य प्राप्त होता है. मान्यता है कि विधि पूर्वक इस व्रत और पूजा करने से यौवन और आरोग्य प्राप्त होता है. इस दिन दान का भी विशेष महत्व है.
रंभा अप्सरा कौन थी?
रंभा अप्सरा का वर्णन पुरणों में भी मिलता है. पौराणिक कथा के अनुसार रंभा अप्सरा का उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थीं. सभी जानते हैं कि समुद्र मंथन देवता और असुरों के मध्य हुआ था. रंभा को पुराणों में सौंदर्य का प्रतीक मानी गई है. रंभा तीज का व्रत रंभा अप्सरा को समर्पित है.
पूजन की विधि
रंभा तीज पर चूड़िय़ों की पूजा की जाती है. इस दिन श्रृंगार की चीजों का दान करने से दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है. दांपत्य जीवन मजबूत बनता है, तनाव और कलक की स्थिति दूर होती है.
इस मंत्र का जाप करें
ऊं ! रंभे अगच्छ पूर्ण यौवन संस्तुते
शुभ मुहूर्त
तृतीया तिथि का आरंभ: 12 जून, शनिवार को रात्रि 20 बजकर 19 मिनट.
तृतीया तिथि का समापन: 13 जून, रविवार को रात्रि 21 बजकर 42 मिनट.

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