लाइसेंस के बिना चल रहे क्लीनिक को किया गया सील
 
                स्वास्थ्य विभाग के नाक के नीचे जन स्वास्थ्य से होता रहा खिलवाड़
महासमुंद। राजस्व व स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त चार सदस्यीय टीम ने बुधवार को वार्ड 24 कुम्हारपारा स्थित श्रीराम केयर क्लीनिक को सील कर दिया। बता दें श्रीराम केयर क्लीनक वर्षों से यहाँ संचालित हो रहा था। यहां नाड़ी जांच कर मरीजों का आयुर्वेदिक व एलोपैथिक पद्धति से उपचार किया जा रहा था। कलेक्टर द्वारा जिले में अवैध रूप से संचालित क्लीनिक व नर्सिंग होम पर कार्रवाई के निर्देश के बाद बुधवार को राजस्व व स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त चार सदस्यीय टीम यहाँ पहुंची। निरीक्षण के दौरान उक्त क्लीनिक के संचालक एसएन गुप्ता ने नर्सिंग होम एक्ट अंतर्गत क्लीनिक संचालन के लिए लाइसेंस प्रस्तुत नहीं किया, जो नर्सिंग होम एक्ट का उल्लंघन पाया गया। क्लीनिक में जांच टीम को एलोपैथिक दवाइयां मिली और क्रय रिकॉर्ड नहीं मिला। जांच टीम ने नर्सिंग होम एक्ट के अंतर्गत बिना लाइसेंस के क्लीनिक संचालित करने पर क्लीनिक को सील कर दिया। जांच टीम में तहसीलदार जुगलकिशोर पटेल, बीएमओ डॉ. विकास चंद्राकर, नोडल अधिकारी डॉ छत्रपाल चंद्राकर व चिकित्सा अधिकारी डॉ घनश्याम साहू शामिल थे।
झोलाछाप डाक्टरों पर कार्यवाई जरूरी
बता दें कि पिछले कुछ वर्षों में जिले में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार हो गई है। ये सभी तीन से पांच साल किसी निजी अस्पतालों में कार्य करते हैं और काम सीख जाने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी दुकान खोलकर ईलाज करते हैं। कई तो घर पहुँच सेवा भी दे रहे हैं। इतना ही नहीं, इनके पास कोई वैध मेडिकल डिग्री भी नहीं होती न तो इंडियन मेडिकल काउंसिल से रजिस्टर्ड रहते और न ही आयुर्वेदिक या किसी अन्य चिकित्सा प्रणाली के प्रमाणित विशेषज्ञ। फिर भी, वे एलोपैथिक, आयुर्वेदिक और यहां तक कि इंजेक्शन वाली दवाओं का इस्तेमाल तक करते हैं। इनकी क्लीनिकों में दवाओं के साथ ही सिरिंज, टैबलेट्स, और तरह-तरह की दवाएं रहती है जिसके गलत इस्तेमाल से किसी की जान भी जा सकती। ऐसे छाला छाप डॉक्टरों के अलावा भी शहर में भी कई ऐसे क्लीनिक व छोटे अस्पताल हैं, जो नर्सिंग होम एक्ट का पालन नहीं कर रहे हैं। ऐसे लोगों पर भी प्रशासनिक कार्रवाई की जरूरत है।
