जनपद पंचायत का बाबू और चपरासी मिलकर बेच दिये 25 क्विंटल सरकारी दस्तावेज

शासन के मद में जमा होने वाला 25 हजार 400 भी डकार गए
महासमुंद। जनपद पंचायत के बाबू और चपरासी ने मिलकर शासन के मापदंडों को दरकिनार कर बिना स्वीकृति लिए ही 25 क्विंटल शासकीय रिकॉर्ड, दस्तावेजों और शासन की योजनाओं से जुड़ी महत्वपूर्ण पुस्तकों को चुपके चुपके कबाड़ में बेच डाला। यही नहीं बेचे गए रिकॉर्ड और दस्तावेज से मिले 25 हजार 400 रुपये जो शासन के मद में जमा किया जाना था उस राशि को भी कर्मचारियों ने मिलकर डकार गए।
महासमुंद जनपद पंचायत में कार्यरत सहायक ग्रेड- 3 राजेश गजभिए (बाबू) और चपरासी ने मिलकर जनपद पंचायत के प्रस्ताव के बिना और अधिकारी को बताएं बगैर ही जनपद पंचायत के 25 क्विंटल महत्वपूर्ण रिकार्ड, दस्तावेज और शासन की योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए पंचायतों में वितरण किए जाने वाले पुस्तकों को चोरी छिपे कबाड़ को बेच दिया गया। और इसकी भनक जनपद सीईओ तक को नहीं लगने दी। बाबू के कहने पर चपरासी ने 10 अगस्त को बाजार वार्ड स्थित एक कबाड़ व्यवसायी दीपक साहू से रद्दी बेचने का सौदा किया। व्यवसायी ने एक मजदूर को ठेला सहित जनपद पंचायत पहुंचने को कहा। जनपद पहुंचकर मजदूर ने देखा कि अधिक मात्रा में रिकॉर्ड, दस्तावेज और पुस्तक है। मजदूर ने व्यवसायी को बताया कि ठेले में दस्तावेजों को नहीं ले जा सकते। इसके कबाड़ व्यवसायी ने एक मिनी माल वाहक भेजा। मजदूरों ने वाहन को सरपंच सदन के पास पहुंचा और रिकॉर्ड, दस्तावेज और पुस्तक सब भरकर रायपुर रायपुर के लिए रवाना हो गया। कबाड़ व्यवसायी दीपक साहू ने बताया कि 25 क्विंटल रद्दी के एवज में राजेश गजभिए को 25 हजार 400 रुपये भुगतान किया। जबकि शासकीय रिकॉर्ड या दस्तावेजों को बेचने से पहले जनपद पंचायत के सामान्य सभा में प्रस्ताव लाया जाता है। इसके बाद विभागीय प्रक्रिया के तहत एक समिति गठित कर दस्तावेजों का भौतिक सत्यापन करा कर बेचा जाता है। लेकिन महासमुंद जनपद पंचायत के एक बाबू ने नियम विरूद्ध बिना किसी प्रक्रिया अपनाएं ही दस्तावेजों को बेच दिया। शासकीय रिकॉर्ड और दस्तावेज बेचने के बाद मिले राशि को शासकीय मद में जमा किया जाना था लेकिन शासकीय धन को बाबू और चपरासी मिलकर डकार गए।
इस मामले में पूर्व जनपद सदस्य योगेश्वर चंद्राकर ने कहा कि, शासन का कोई भी सामग्री बेचने से पहले जनपद के सामान्य सभा में लाया जाता है। प्रस्ताव पारित होने के बाद एक समिति गठित कर उसका भौतिक सत्यापन कराएं जाने के बाद ही कबाड में बेचा जा सकता है। जनपद उपाध्यक्ष हुलसी चंद्राकर का कहना जनपद का रिकॉर्ड, दस्तावेज और पुस्तकों में बहुत से महत्वपूर्ण रिकार्ड दस्तावेज हो सकता है। अगर इस तरह के कृत्य में बाबू और चपरासी शामिल है तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। बिना जानकारी के जनपद के किसी भी संपत्ति को बेचना कानून अपराध है। इसकी लिखित शिकायत उच्च स्तरीय अधिकारियों से की जाएगी। अब देखना है कि नियमों की विरूद्ध शासकीय रिकॉर्ड और दस्तावेज बेचने के मामले में संबंधित बाबू और चपरासी के खिलाफ क्या कार्रवाई करते हैं। या फिर मामले को रफा-दफा कर दिया जाएगा।
-यह जांच का विषय है। विभागीय जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। बाद ही संबंधित पर कार्रवाई की जाएगी।
हेमंत नंदनवार, सीईओ
जिला पंचायत महासमुंद