बारिश से बढ़ रहा बांध का पानी, निसदा डेम का खोला गेट

बारिश से कोडार में पानी भर रहा है
महासमुंद। गंगरेल बांध का जलभराव स्तर लगातार बारिश के कारण तेजी से बढ़ रहा है। शुक्रवार रात 8 बजे की स्थिति में बांध का जलभराव 94.82 प्रतिशत दर्ज किया गया था, जिसमें 17,356 क्यूसेक पानी की आवक रही। इस दौरान सिंचाई के लिए 3,700 क्यूसेक व महानदी में 4,026 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इधर गंगरेल से पानी छोड़ने की जानकारी होने पर निसदा डेम में पानी का लेबल कम करने को लेकर कई गेट खोल दिए गए हैं। लगातार हो रही बारिश के चलते कोडार में भी कैचमेंट एरिया से लगतार पानी बांध में भर रहा है।
जानकारी के अनुसार शनिवार सुबह 11 बजे तक बांध का जलभराव 94 प्रतिशत हो चुका था। बांध के कैचमेंट क्षेत्र में लगातार वर्षा से लगभग 15 हजार क्यूसेक पानी की आवक दर्ज हुई है। मौसम की स्थिति को देखते हुए पानी की आवक 25 हजार क्यूसेक तक पहुँचने की संभावना है। ऐसे में जलस्तर नियंत्रित करने के लिए बांध से प्रति घंटे लगभग 4 हजार क्यूसेक पानी महानदी में छोड़े जाने की संभावना व्यक्त की गई थी। जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता अजय खरे ने बताया कि महानदी के किनारे बसे ग्रामवासियों को सतर्क किया जा रहा है। साथ ही, उच्च अधिकारियों को अग्रिम कार्रवाई के लिए सूचित कर दिया गया है, ताकि संभावित बाढ़ की स्थिति में किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके। उन्होंने नदी किनारे बसे गांवों को सतर्क रहने की अपील की है।
जिले में अब तक 946.6 मिमी औसत बारिश, अगले दो-चार दिन बारिश की संभावना
जिले में पिछले एक सप्ताह से रह-रहकर अच्छी बारिश हुई है जिससे बारिश का आंकड़ा बढ़ा है। इस बार 1 जून से आज तक कुल 946.6 मिमी औसत बारिश हो चुकी है। यदि माह अंत तक अच्छी बारिश हुई तो सालभर की संभावित औसत वर्षा (993.3) तक बारिश का यह आंकड़ा पहुँच जाएगा। जानकारी के अनुसार इस वर्ष 1 जून से लेकर आज तक महासमुंद में 760.6, सरायपाली 999.0, बसना 868.7, पिथौरा 1224.0, बागबाहरा 879.5 तथा कोमाखान में 944 मिमी बारिश दर्ज की गयी है। मौसम विभाग के अनुसार चक्रवात का असर अभी थमने वाला नहीं है। दक्षिण पूर्व तटीय मध्य प्रदेश के ऊपर अवदाब का मौसम सक्रिय है, जो पश्चिम दिशा की ओर बढ़ रहा है। इसके आगे बढ़ते रहने से दक्षिण कोरिया और छत्तीसगढ़ के शिखर पर पहुंचने के बाद धीरे-धीरे गिरावट की संभावना जताई जा रही है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार एक द्रोणिका दक्षिण भाग से तेलंगाना तक जाती है और उत्तर में 3.1 से 4.5 किमी तक की दूरी तय करती है। वहीं, उत्तर अंडमान सागर में 30 सितंबर को ऊपरी हवा का चक्रीय परिसंचरण बनने की संभावना है। इसका प्रभाव 1 अक्टूबर से उत्तर बंगाल की खाड़ी और मध्य बंगाल की खाड़ी में निम्न दाब का क्षेत्र बन सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका असर 1 अक्टूबर से छत्तीसगढ़ में बारिश के रूप में सामने आ सकता है।