देश में बढ़ते ई-कचरे का प्रबंधन
नई दिल्ली, 13 फरवरी 2025। पिछले कुछ वर्षों में ई-कचरे का उत्पादन बढ़ा है और उपभोक्ताओं द्वारा विद्युतीय एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (ईईई) के बढ़ते उपयोग के कारण इसमें दिन-प्रतिदिन वृद्धि हुई है। यह आर्थिक विकास और तकनीकी प्रगति का परिणाम है।
मंत्रालय ने ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2016 को व्यापक रूप से संशोधित किया है और नवंबर, 2022 में ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2022 को अधिसूचित किया है। यह 1 अप्रैल, 2023 से लागू है। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य और पर्यावरण को ई-कचरे से होने वाले किसी भी प्रतिकूल प्रभाव से बचाना है।
इन नए नियमों का उद्देश्य पर्यावरण की दृष्टि से ई-कचरे का प्रबंधन करना तथा ई-कचरे के पुनर्चक्रण के लिए उन्नत विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) व्यवस्था लागू करना है, जिसके तहत सभी विनिर्माता, उत्पादक, नवीनीकरणकर्ता और पुनर्चक्रणकर्ता को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा विकसित पोर्टल पर पंजीकरण कराना आवश्यक है।
नए प्रावधानों से असंगठित क्षेत्र को व्यवसाय करने के लिए संगठित क्षेत्र में लाने में सुविधा होगी और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से ई-कचरे का पुनर्चक्रण सुनिश्चित होगा। इसमें पर्यावरण क्षतिपूर्ति और सत्यापन एवं लेखा परीक्षा के प्रावधान भी पेश किए गए हैं। ये नियम ईपीआर व्यवस्था और ई-कचरे के वैज्ञानिक पुनर्चक्रण/निपटान के माध्यम से चक्रीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देते हैं।
वर्तमान में सीपीसीबी के साथ 322 रिसाइकिलर और 72 रिफर्बिशर पंजीकृत हैं जो उत्पन्न ई-कचरे की रिसाइकिलिंग/रिफर्बिशिंग की सेवाएं प्रदान करते हैं। 322 पंजीकृत रिसाइकिलर की प्रसंस्करण क्षमता 09.02.2025 तक 22,08,918.064 मीट्रिक टन प्रति वर्ष है और 72 पंजीकृत रिफर्बिशर की प्रसंस्करण क्षमता 92,042.18 मीट्रिक टन प्रति वर्ष है।