अनुकंपा नियुक्ति, ढाई साल बाद नौकरी का आवेदन, कोर्ट ने कहा, लापरवाह लोगों की मदद नहीं की जा सकती
बिलासपुर 12 अक्टूबर 2024। हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के एक मामले में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया है कि सभी को अपने अधिकारों और कर्तव्यों को लेकर जागरुक होना चाहिए। ऐसी टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है। मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे के सिंगल बेंच में हुई। याचिकाकर्ता ताम्रध्वज यादव के पिता पुनाराम यादव जल संसाधन विभाग दुर्ग में वाटरमैन के पद पर कार्यरत थे। 14 फरवरी 2005 को उनकी मृत्यु हो गई। पिता की मुत्यु के ढाई साल बाद ताम्रध्वज यादव ने 17 अक्टूबर 2007 को अनुकंपा नियुक्ति के लिए चीफ इंजीनियर जल संसाध, रायपुर के समक्ष आवेदन पेश किया था। जल संसाधन विभाग के सचिव ने देर से आवेदन पेश करने को कारण बताते हुए आवेदन को खारिज कर दिया था।
अनुकंपा नियुक्ति को लेकर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि, याचिकाकर्ता के पिता की जब मृत्यु हुई तब याचिकाकर्ता ताम्रध्वज यादव के तीन और भी भाई हैं, जो मजदूरी करते हैं और पिता की जब मृत्यु हुई तब तीनों भाई वयस्क थे। पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए उनमें से किसी एक के द्वारा आवेदन दिया जा सकता था। लेकिन इसके बाद भी परिवार के सदस्यों ने ध्यान नहीं दिया। याचिकाकर्ता ने पिता की मृत्यु के तकरीबन ढाई साल बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन पेश किया है, जब विभाग ने आवेदन को खारिज किया, तब वे हाई कोर्ट गए। जहां हाईकोर्ट ने कहा कि, अनुकंपा नियुक्ति के लिए पेश आवेदन और याचिका दोनों ही कानून के नजरिए से न्यायोचित नहीं है और ना ही विचारणीय है। सिंगल बेंच ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया। जिसमें विलंब के चलते दायर याचिका को खारिज कर दिया था। जिसमें याचिकाकर्ता ने पिता की मौत के दो साल आठ महीने विलंब से जल संसाधन विभाग में अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन पेश किया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि, याचिकाकर्ता को अपने अधिकार के प्रति जागरुक होना चाहिए था। मौजूदा प्रकरण में ऐसा कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है। सिवाय लापरवाही और गैर जिम्मेदारी के।
