अक्षय तृतीया की खरीददारी से बाजार हुआ गुलजार

मिट्टी के गुड्डे- गुड़ियों व अन्य सामानों की दुकानें में लगी रही भीड़
महासमुंद। अक्षय तृतीया बुधवार 30 अप्रैल को मनाया जाएगा। यह पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना गया है। तृतीया तिथि का प्रवेश आज 29 अप्रैल की रात से होगा और 30 अप्रैल की शाम 6 बजे तक तृतीया तिथि प्रभावी रहेगी। अक्षय तृतीया को लेकर बाजार में रौनक है। नगर के प्रमुख चौक-चौराहों पर मिट्टी के मटके, गुड्डे-गुड़ियों व अन्य सामानों की दुकानें लग चुकी हैं।
बता दें कि अक्षय तृतीया को हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार सबसे शुभ तिथि माना जाता है और इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना पंचांग देखे और बिना मुहूर्त निकाले किया जा सकता है। हिंदू धर्म में कई पौराणिक मान्यताएं चली आ रही हैं, इसे युगादि तिथि भी मानी जाती है। इस दिन ही त्रेता युग आरंभ हुआ और भगवान परशुराम का अवतार भी इस दिन हुआ था। धर्म में अक्षय तृतीया को सुख-समृद्धि, सौभाग्य और नई शुरूआत के रूप में देखा जाता है। यह दिन मुख्य रूप से धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा को समर्पित है। इस दिन ज्यादातर लोग बिना मुहुर्त देखे शादी-ब्याह आदि मांगलिक कार्यक्रम कराते हैं। पर्व के करीब आते ही इन दिनों बाजार में पारंपरिक खिलौनों ने बाजार की रौनक और बढ़ा दी है। बर्तन, ज्वेलरी, विवाह, चूड़ी व कास्मेटिक, सराफा, कपड़ा, ऑटोमोबाइल्स, साज-सज्जा के सामान जमकर बिक रहे हैं। इसके अलावा दुल्हे की पगड़ी, कटार तथा विवाह में लगने वाली पूजा सामग्री जैसे परी, टोकरी, मंगरोहन, नांदी टोहटी, कलश आदि के सामान जगह-जगह बिक रहे हैं।
रचाई जाएगी गुड्डा गुड़ियों की शादी
अक्षय तृतीया को प्रदेश में अक्ती तिहार के रूप में मनाया जाता है। वैशाख में गर्मी की अधिकता रहती है। इसलिए शरीर को ठंडा रखने के लिए या बीमारी से बचने के लिए मिट्टी के घड़े का पानी सत्तू, गुड़ आम, तरबूज आदि का उपयोग करने से पहले उनका दान किए जाने की परंपरा चली आ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में मिट्टी के गुड्डे- गुड़ियों का विवाह करने की परंपरा वर्षों से बच्चों के माध्यम से निभाई जाती है। जिसका उद्देश्य बच्चों को विवाह का महत्व बताना है। बच्चे भी गुड़ियों का विवाह बड़े हर्ष के साथ कराते हैं। मिट्टी के गुड्डे-गुड़िया पिछले कई दिनों से बाजार में बिकने लगे हैं।