आईआईटी भिलाई का नवाचार: औद्योगिक सल्फर वेस्ट से स्वच्छ जल का निर्माण
दुर्ग, 02 दिसंबर 2025/ सतत रसायन विज्ञान को भारत की स्वच्छ पेयजल की राष्ट्रीय आवश्यकता से जोड़ते हुए आईआईटी भिलाई के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी पॉलिमर तकनीक विकसित की है, जो औद्योगिक सल्फर कचरे का उपयोग जल प्रदूषण से निपटने में करती है। शोध टीम भनेन्द्र साहू, सुदीप्त पाल, प्रियंक सिन्हा और डॉ. संजीब बनर्जी ने एक धातु-रहित, पर्यावरण-अनुकूल पॉलिमराइजेशन प्रक्रिया विकसित की है, जो कम मूल्य वाले सल्फर वेस्ट को सल्फर-डॉट्स (एस-डॉट्स) में परिवर्तित करती है। ये एस-डॉट्स उन्नत स्मार्ट पॉलिमरों के निर्माण में हरित फोटोकैटलिस्ट के रूप में कार्य करते हैं। यह कार्य अनुप्रयुक्त रसायन अंतर्राष्ट्रीय संस्करण में प्रकाशित हुआ है। यह नवाचार दो प्रमुख सामाजिक चुनौतियों का समाधान प्रदान करता है। औद्योगिक सल्फर वेस्ट का प्रबंधन और प्रदूषित जल से हानिकारक हाइड्रोफोबिक प्रदूषकों को हटाना। पेट्रोलियम रिफाइनिंग, कोयला प्रसंस्करण और रासायनिक उद्योगों से निकलने वाला सल्फर वेस्ट अकसर निपटान और पर्यावरण संबंधी समस्याएँ पैदा करता है। इस वेस्ट को उच्च-मूल्य वाले एस-डॉट्स में बदलकर आईआईटी भिलाई की टीम ऐसे मल्टी-आर्म स्टार पॉलिमर्स का निर्माण करने में सक्षम हुई है, जिनमें जल शुद्धिकरण की उत्कृष्ट क्षमता है। ये स्टार पॉलिमर स्वतः नैनोस्केल गोलाकार संरचनाएँ बनाते हैं, जो सूक्ष्म स्पंज की तरह कार्य करते हुए हाइड्रोफोबिक प्रदूषकों को फँसा लेते हैं। परीक्षणों में इन्होंने डाई, कीटनाशक और तेल अवशेष जैसे हानिकारक प्रदूषकों का 80ः से अधिक सफलतापूर्वक निष्कासन किया, जो नदियों और झीलों की सफाई के लिए इसकी मजबूत संभावनाएँ दर्शाता है। भारत में जल प्रदूषण विशेष रूप से औद्योगिक एवं कृषि क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में यह तकनीक अपशिष्ट जल शोधन और पर्यावरण पुनर्स्थापन प्रयासों को सशक्त बना सकती है। इस दोहरे लाभ पर प्रकाश डालते हुए डॉ. बनर्जी ने कहा, “हम औद्योगिक कचरे को पहले स्वच्छ उत्प्रेरक में बदलते हैं और फिर उसी से ऐसे स्मार्ट पॉलिमर बनाते हैं जो प्रदूषित जल को शुद्ध करते हैं यह एक पूर्ण सर्कुलर समाधान है।” यह तकनीक जल जीवन मिशन, पर्यावरण पुनर्स्थापन कार्यक्रमों और सतत औद्योगिक प्रथाओं जैसे राष्ट्रीय उद्देश्यों के अनुरूप है। हल्की यूव्हीए रोशनी में कार्य करने वाली यह धातु-रहित, वेस्ट-आधारित पॉलिमर तकनीक भारत के सुरक्षित, स्वच्छ और सभी के लिए सुलभ जल के लक्ष्य को प्राप्त करने में एक शक्तिशाली साधन सिद्ध हो सकती है।
