कम बारिश के कारण खेतों में पड़ने लगे दरारें, 2015 के बाद इस साल सबसे कम बारिश

धूप-छांव का खेल जारी, पूरा सावन और भादो इस बार बिन बारिश के गुजरा
महासमुंद। जिले में इस मानसून सीजन में अब तक मात्र 717.8 मिमी औसत बारिश ही हुई है। जो पिछले 13 सालों में सबसे कम का आंकड़ा है। 2013 से लेकर 2025 के बीच वर्ष 2015 में सबसे कम बारिश 763.4 मिमी (15 सितंबर तक) हुई थी। जिले में पूरी तरह से बारिश के पानी पर आश्रित धान की फसल लेने वाले किसानों को अब फसल की चिंता सता रही है।
बता दें कि एक जून से अभी तक जिले में कुल 717.8 मिमी बारिश हुई है। जो सालभर की संभावित बारिश का 72 प्रतिशत है। जिसमें पिथौरा में सबसे अधिक 937 मिमी, सरायपाली में 757.3, कोमाखान में 698.6, बसना में 660, बागबाहरा में 659.7 और सबसे कम महासमुंद तहसील में 593.9 मिमी बारिश ही हुई है। पिछले 24 घंटे में केवल महासमुंद में 2.0 मिमी बारिश हुई है और शेष तहसीलों में सूखा रहा। आज सुबह जिला मुख्यालय में बारिश हुई और सुबह से ही धूप-छांव का खेल जारी है। बारिश के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2015 के बाद इस साल आज तक की स्थिति में सबसे कम बारिश हुई है। बारिश कम होने से जिले में सूखे की संभावना बढ़ सकती है। यही स्थिति रही तो बारिश के पानी पर निर्भर धान की फसल पर बुरा असर पड़ेगा और इसका सीधा असर किसानों पर पड़ेगा। पूरा सावन और भादो इस बार बिन बारिश के गुजरा अब क्वांर में बारिश नहीं हो रही है। मालूम हो कि इस साल जून में सामान्य बारिश हुई, तो जुलाई में कम बारिश दर्ज की गई। वहीं, अगस्त माह के शुरूआत दिनों में सामान्य से अधिक हुई। बाद बारिश लगातार घटती गई और अब यह 15 फीसदी तक घट चुकी है। वहीं सितंबर के अंतिम सप्ताह से मानसून की वापसी शुरू हो जाती है। हालांकि, बीते चार साल से सितंबर में सामान्य से अधिक बारिश हुई। लेकिन, इस बार सामान्य से कम बारिश का अनुमान है।
पिछले 13 सालों के बारिश के आंकड़े
जानकारी के अनुसार आज 15 सितंबर की स्थिति में जिले में 717.8 मिमी बारिश हुई है। पिछले सालों में हुई बारिश के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2024 में 851.3 मिमी, 2023 में 943.5, 2022 में 1068.3, 2021 में 853.9, 2020 में 1190.3, 2019 में 1036.8, 2018 में 1005.6, 2017 में 806.6, 2016 में 828.3, 2015 में 763.4, 2014 में 1303 और 2013 में 1104.1 मिमी बारिश हुई है। यानि पिछले 13 सालों में वर्ष 2014 में सबसे अधिक और इस साल सबसे कम बारिश दर्ज की गई है।
कोडार से पिछले 39 दिनों से दिया जा रहा पानी
सावन में बारिश कम होने और धान फसल के लिए पानी की आवश्यकता को देखते हुए किसानों की मांग पर 8 अगस्त से कोडार से नहर के दोनों छोर आरबीसी से हर रोज 140 क्यूसिक और एलबीसी से 317 क्यूसिक पानी लगातार छोड़ा जा रहा है। कोडार में अब 17.30 फीट पानी शेष है। मालूम हो कि कोडार से लगभग 50 गांवों के किसानों को सिंचाई के लिए पानी दिया जाता है।