सेट्रींग प्लेट उपलब्ध कराकर खेमीन दीदी
समूहों की महिलाओं के लिए बनी प्रेरणा स्त्रोत
दुर्ग, 22 जुलाई 2025/गांव में मजदूरी कर गुज़ारा करने वाली स्व सहायता समूह की महिलाएं आज अपने व्यवसाय से लखपति बन चुकी हैं और क्षेत्र की महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैं। दुर्ग जिले के ग्राम पंचायत रिसामा मंा छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ‘‘बिहान‘‘ अंतर्गत संचालित कल्याणी स्व सहायता समूह की सदस्य और सचिव खेमीन निर्मलकर बिहान योजना में सक्रिय महिला के तौर पर भी कार्य कर रही है, और स्व सहायता समहों से जुड़ी महिलाओं के लिए एक मिशाल के तौर पर उभरी है।
खेमीन निर्मलकर बताती है कि ग्राम में मजदूरी का कार्य करती थी और उनके पति मिस्त्री के रूप में कार्य करते थे, जिससे उन्हें 8,000 रूपये मासिक आमदानी प्राप्त होती थी। श्रीमती खेमीन ने समूह के माध्यम से ऋण लेकर नया व्यवसाय करने और अपनी आमदानी को बढ़ाने की योजना बनाई। समूह के माध्यम से उन्होंने 2.5 लाख रुपये का बैंक लोन और एक लाख रुपये अपनी पूंजी लगाकर 2000 वर्गफुट सेट्रींग प्लेट का निर्माण कार्य शुरू किया।
काम की गुणवत्ता और समय पर सेवा देने के चलते खेमीन दीदी की मांग बढ़ती गई। उन्होंने इसी वित्तीय वर्ष (2024-25) में अपने लाभ से 1000 वर्गफुट अतिरिक्त सेट्रींग प्लेट खरीदी और अब कुल 3000 वर्गफुट प्लेट्स उपलब्ध हैं। ये प्लेट्स अब तक 100-150 प्रधानमंत्री ग्रामीण आवासों और 100 से अधिक निजी निर्माण कार्यों में लगाई जा चुकी हैं।
हर 1000 वर्गफुट प्लेट से उन्हें 12 हजार रुपये की शुद्ध आमदनी होती है। इस हिसाब से 3000 वर्गफुट प्लेट से 36 हजार रुपये प्रतिमाह और 10 महीनों की कार्य अवधि में कुल 3 लाख 60 हजार रुपये वार्षिक आमदनी हो रही है।
सिर्फ खुद नहीं, औरों के लिए भी रोशनी बनीं
आज खेमीन दीदी सिर्फ अपने गांव रिसामा में ही नहीं, बल्कि दुर्ग जिले के चंदखुरी, उतई, घुघसीडीह, मचांदुर, कुकरैल, अण्डा, चिरपोटी और यहां तक कि बालोद जिले के ओटेबंद, सुखरी, पांगरी जैसे अनेक गांवों में भी प्रधानमंत्री आवास और निजी निर्माण कार्यों के लिए सेट्रींग प्लेट उपलब्ध करा रही हैं। अब उनकी योजना है कि वे आने वाले महीनों में अपने व्यवसाय को 3000 से बढ़ाकर 5000 वर्गफुट तक करें, जिससे और अधिक आमदनी हो सके और अन्य महिलाओं को भी रोजगार मिल सके।