डीएपी के विकल्प के रूप में सिंगल सुपर फास्फेट एवं एनपीके उर्वरक बेहतर
जिले में उर्वरक का पर्याप्त भण्डारण
गरियाबंद 30 जून 2025/ वर्षा प्रारंभ होते ही जिले में कृषि कार्य जोरो पर है। मौसम की अनुकुल परिस्थिति को देखते हुए इस वर्ष अच्छी फसल होने की संभावना है। सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर कृषि ऋण, बीज एवं उर्वरकों का वितरण किया जा रहा है। जिले के डॅबल लॉक एवं सहकारी समितियों में यूरिया 9538, सुपर फास्फेट 2972, डी.ए.पी. 3005, पोटाश 1562 तथा एन.पी.के. 3883 इस प्रकार कुल 20960 मि.टन उर्वरक भंडारण कराया जाकर अद्यतन 15769 मि.टन उर्वरकों का वितरण कृषकों को किया जा चुका है। वैश्विक परिदृश्य में डी.ए.पी. के सीमित आवक के दृष्टिगत अन्य वैकल्पिक उर्वरक यथा सिंगल सुपर फास्फेट, एनपीके 20:20:0:13, 28:28:0: 12:32:16 का पर्याप्त भंडारण जिले में किया जा रहा है। कृषकगण इन उर्वरकों का उपयोग कर अधिक उपज प्राप्त कर सकते है। एनपीके 20:20:0:13 अमोनियम फास्फेट सल्फेट उर्वरक है जिसमें नाइट्रोजन 20 प्रतिशत, फास्फोरस 20 प्रतिशत एवं सल्फर 13 प्रतिशत उपलब्ध होता है। उर्वरक में सल्फर की उपलब्धता होने के कारण फसलों में क्लोरोफिल एवं प्रोट्रीन का निर्माण में महत्व पूर्ण भूमिका निभाती है तथा फसलों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। संतुलित पोषक तत्वों की पूर्ति से फसल उत्पादन में वृद्धि होती है। सिंगल सुपर फॉस्फेट में स्फूर की मात्रा 16 प्रतिशत के साथ-साथ सल्फर 11 प्रतिशत एवं कैल्सियम 19-21 प्रतिशत होने के कारण मृदा अम्लीयता को सुधार कर फसलों के जड़ का विकास कर पोषक तत्वों के उपलब्धता को बढ़ाती है। धान के पकने की अवधि के आधार पर कृषि वैज्ञानिकों द्वारा डी.ए.पी. उर्वरक के स्थान पर अन्य उर्वरकों के साथ संतुलित मात्रा तैयार किया गया है। जिसके उपयोग से फसलों की उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है। शासन के दिशा निर्देशानुसार उर्वरक विक्रय हेतु पी.ओ.एस. मशीन की अनिवार्यता एवं निर्धारित दर पर उर्वरकों का विक्रय सुनिश्चित करने हेतु संबंधितो को निर्देशित किया गया है। समस्त कृषकों से अपील है कि नत्रजन एवं स्फूर उर्वरकों के साथ-साथ म्यूरेट ऑफ पोटाश का उपयोग अवश्य करे जिससे फसलों में कीड़े बिमारी की समस्या अपेक्षाकृत कम आती है। साथ ही जिंक ईडीटीए एवं बोरॉन का छिड़काव निर्धारित अनुपात में अवश्य करें जिससे फसलों की गुणवत्ता एवं उपज में वृद्धि से किसान भाई अधिक से अधिक लाभान्वित हो सकते है।