मनरेगा में 7 साल पहले किए काम की मजदूरी मांगने ग्रामीण पहुंचे कलेक्टोरेट

तालाब गहरीकरण की मजदूरी
महासमुंद। ग्रामीणों से मनरेगा के तहत 7 साल पहले तालाब गहरीकरण कराए गए थे लेकिन ग्रामीणों को मजदूरी इतने सालों बाद भी नहीं मिली है। इतना ही नहीं, रोजगार सहायक ने किसी भी ग्रामीण के जाब कार्ड में मजदूरी दिवस की एंट्री तक नहीं की है। परेशान मजदूर भुगतान के लिए पंचायत से लेकर कलेक्टर कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। मंगलवार को एक बार फिर से मजदूरी की मांग को लेकर कलेक्टोरेट पहुंचे।
कलेक्टर से गुहार लगाने पहुंचे ग्राम पंचायत झिलमिला के आश्रित नवागांव के 50-60 ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2018-19 में 9.76 लाख रुपये की लागत से नवा तालाब गहरीकरण में मजदूरी की, लेकिन आज तक अपने काम की मजदूरी नहीं मिली। यहां जितने भी लोग हैं उनका 3 हफ्ते से लेकर 6 हफ्ते की मजदूरी आज तक नहीं मिली। उन्होंने बताया कि 210 रुपये प्रति दिवस के हिसाब से 4410 रुपये से लेकर 8820 रुपये मजदूरी बाकी है। रोजगार सहायक से जब भी मजदूरी मांगते हैं तो जवाब मिलता है कि खाते में चला गया है और बैंक जाकर पता करते है तो पेमेंट नहीं आया कहा जाता है। पिछले सात सालों से अपनी मेहनत की कमाई के लिए भटक रहे हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। उन्होंने रोजगार सहायक पर यह भी आरोप लगाया कि मुफ्त में बनने वाले जॉब कार्ड के लिए भी रोजगार सहायक ने मजदूरों से 200-200 रुपये लिया है। बता दें कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत 15 दिवस में मजदूरों को उनके खाते में मजदूरी का भुगतान कर देना होता है और इसके लिए बकायदा निचले से ऊपर स्तर तक निगरानी होती है। इसके बावजूद 7 साल तक मजदूरों को मजदूरी न मिलना पूरे सिस्टम पर एक सवाल खड़े करता है। इस मामले में जिला पंचायत के सीईओ एस आलोक का कहना है कि जनदर्शन में शिकायत मिली है, जिसकी जांच कराई जाएगी और सही पाए जाने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। बहरहाल, अब देखना होगा कि आखिर जांच कब तक होती है? और मजदूरों को मजदूरी कब तक मिलती है? साथ ही दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है?