मध्यस्थता-राष्ट्र के लिए अभियान में छत्तीसगढ़ ने हासिल की बड़ी सफलता
मध्यस्थता के माध्यम से निपटाए गए 1962 मामले
बिलासपुर, 7 अक्टूबर 2025/न्यायिक प्रणाली में लंबित मामलों की संख्या कम करने और जन-हितैषी न्याय को बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) और उच्चतम न्यायालय की मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति (एमसीपीसी) ने दिनांक 1 जुलाई से 30 सितंबर, 2025 तक आयोजित 90-दिवसीय राष्ट्रव्यापी मध्यस्थता अभियान, ’’मध्यस्थता-राष्ट्र के लिए’’ का आज सफल समापन किया।
’’मध्यस्थता-राष्ट्र के लिए’’ अभियान का उद्देश्य तालुका से लेकर उच्च न्यायालय तक सभी न्यायिक स्तरों पर लंबित विवादों में सस्ता, त्वरित एवं सौहार्दपूर्ण तरीके से समाधान के लिए मध्यस्थता को प्रोत्साहित करना था। इस अभियान में वैवाहिक विवाद, मोटर दुर्घटना दावे, घरेलू हिंसा के मामले, चेक बाउंस के मामले, वाणिज्यिक विवाद, सेवा संबंधी मामले, आपराधिक समझौता योग्य मामले, उपभोक्ता विवाद, ऋण वसूली के मामले, विभाजन के मुकदमे, बेदखली के मामले, भूमि अधिग्रहण विवाद, मध्यस्थता के मामले, श्रम संबंधी विवाद और अन्य उपयुक्त दीवानी मामलों सहित विभिन्न प्रकार के मामलों को शामिल किया गया। छत्तीसगढ़ राज्य में इस अभियान में सहभागिता को प्रोत्साहित करने और मध्यस्थता के लाभों पर प्रकाश डालने के लिए जमीनी स्तर पर व्यापक अभियान चलाए गए।
छत्तीसगढ़ में इस अभियान में उल्लेखनीय सहभागिता देखी गई और महत्वपूर्ण सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए। अभियान के दौरान कुल 11,144 लंबित मामलों को मध्यस्थता के लिए भेजा गया, जिसके परिणामस्वरूप 1,962 मामलों का सफल और अंतिम निपटारा हुआ। ये परिणाम इस तथ्य को पुष्ट करते हैं कि मध्यस्थता अब एक प्रभावी और विश्वसनीय न्याय वितरण तंत्र के रूप में स्वीकार किया जा रहा है। मध्यस्थता के प्रति जन मानस का विश्वास, जागरूकता, पारदर्शिता और परिणामोन्मुखी दृष्टिकोण के कारण अभियान को बड़ी सफलता प्राप्त हुई है।
छत्तीसगढ़ में ’’मध्यस्थता-राष्ट्र के लिए’’ अभियान का सफल समापन मजबूत संस्थागत नेतृत्व और सभी के लिए सुलभ न्याय के प्रति प्रतिबद्धता का एक सकारात्मक प्रमाण है। इस उपलब्धि के पीछे माननीय न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा-मुख्य न्यायाधिपति छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय सह मुख्य संरक्षक- छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (सालसा) का विशिष्ट संरक्षण और दूरदर्शी मार्गदर्शन सर्वोपरि था।
वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) के माध्यम से न्यायिक लंबित मामलों को कम करने पर उनके अटूट जोर ने अभियान की सक्रिय पहुँच और व्यापक जनभागीदारी को प्रेरित करने वाली आधारभूत शक्ति का काम किया। छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष, माननीय न्यायमूर्ति संजय के. अग्रवाल और मध्यस्थता केंद्रों की निगरानी समिति के अध्यक्ष, माननीय न्यायमूर्ति पार्थ प्रतीम साहू के निरंतर मार्गदर्शन और सहयोग ने भी इन प्रभावशाली परिणामों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे मध्यस्थता राज्य की न्याय प्रणाली के एक प्रभावी और विश्वसनीय घटक के रूप में स्थापित हुई।