सहस्त्रधारा स्नान से अस्वस्थ भगवान जगन्नाथ का होगा आयुर्वेदिक पद्धति से उपचार

भक्तों को दर्शन देने रथ पर सवार होकर 27 को निकलेंगे भाई -बहन के साथ महाप्रभु
महासमुंद। पूर्णिमा पर भक्तों द्वारा सहस्त्रधारा स्नान कराए जाने के बाद से भगवान जगन्नाथ अस्वस्थ हो गए हैं। स्वास्थ्य लाभ के लिए पंचमी 16 जून से सेवायत आयुर्वेदिक पद्धति से उनका उपचार करेंगे। महाप्रभु के बीमार हो जाने के बाद से ही मंदिर के पट बंद हो गए हैं। अब 26 जून को नेत्रोत्सव के साथ भगवान जगन्नाथ स्वस्थ होंगे और दूसरे दिन 27 जून को भक्तों को दर्शन देने रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे।
श्रीराम जानकी मंदिर स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर के पंडित नारायण दास वैष्णव ने बताया कि महास्नान के बाद बीमार हुए भगवान को स्वस्थ करने दवा स्वरूप काढ़ा के साथ ड्रायफ्रूट उन्हें भोग में अर्पित किया जाएगा। बीमार भगवान जगन्नाथ भले ही भक्तों को दर्शन नहीं दे रहे। लेकिन विश्राम कक्ष में रविवार से भगवान जगन्नाथ की नियमित सेवा की जाएगी। भगवान को दालचीनी, जावित्री, कालीमिर्च, लौंग, इलायची का काढ़ा अर्पित किया जाएगा। ये सारी सेवाएं स्कंद पुराण के उत्कल खंड में जो नियम बताए गए हैं, उसके अनुसार ही चलती हैं। पुजारी ने बताया कि भगवान जगन्नाथ के बीमार होने के बाद 15 दिनों के लिए मंदिर के पट बंद हैं। जो सीधे 26 जून को नेत्रोत्सव के साथ महाप्रभु स्वस्थ होंगे और दूसरे दिन अलसुबह मंगला आरती के साथ ही भक्तों के लिए मंदिर के पट खोले जाएंगे और उसके बाद भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा व बड़े भैया बलराम के साथ रथ में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने स्वयं नगर भ्रमण पर जाएंगे।
बहुड़ा यात्रा 6 जुलाई को
पौराणिक कथा के अनुसार नगर भ्रमण के बाद वे भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के यहां विश्राम करने जाएंगे। जिस दिन भगवान भक्तों को दर्शन देंगे उस दिन को लोग रथयात्रा पर्व के रूप में मनाते हैं। रथयात्रा शहर के प्रमुख मार्गों से निकलेगी। 6 जुलाई को भगवान अपने मौसी के घर से वापस मंदिर आएंगे जिसे बहुड़ा यात्रा पर्व के रूप में मनाया जाएगा। श्री वैष्णव ने बताया कि मंदिर पहुंचने के बाद भगवान सो जाएंगें, इसके बाद कोई मांगलिक कार्य नहीं होगा।