जिले में खरीफ फसल के लिए खाद्य संकट गहराया

किसान 400-500 में बाजार से खरीदने को मजबूर
महासमुंद। जिले में खरीफ सीजन में धान की फसल के लिए इस बार किसानों को खाद्य संकट से जूझना पड़ सकता है। सरकार ने खाद्य की डिमांड और सप्लाई में कटौती कर दी है। जिले में 66 हजार टन खाद्य की आवश्यकता होती है और महज़ 15 हजार ही खाद्य मिल पाया है, जो 1 लाख 62 हजार किसानों के लिए नाकाफी है। ऐसे में किसानों को बाजार का रूख अपनाना पड़ रहा है।
महासमुंद जिले खरीफ सीजन में खेती किसानी करना अब किसानों के लिए परेशानियों का सबब बनता जा रहा है। सोसायटियों में खाद्य संकट गहरा गया है। जिले में 1 लाख 62 हजार पंजीकृत किसान है, और 2 लाख 47 हजार हेक्टेयर में धान की फसल लेते हैं। जिसके लिए 66 हजार टन खाद की आवश्यकता होती है । जिसमें यूरिया , पोटास , राखड़ एवं डी ए पी ( विकल्प के तौर पर एन पी के ) है। जिसके एवज में 15 हजार टन खाद का ही भंडारण किया गया है जिसे वितरण किया जा रहा है। अभी तक जिले को 51 हजार टन खाद अब तक नही मिल पाया है। पिछले साल की तुलना में डी ए पी का लक्ष्य घटाकर 5 हजार टन कर दिया गया, जिसमें से सिर्फ 2 हजार टन डी ए पी जिले को मिल पाया था, जिसका वितरण कर दिया गया। वर्तमान में सोसायटियों में डी ए पी खाद उपलब्ध नही है । इसके एवज में सरकार द्वारा सोसायटियों को एन पी के खाद उपलब्ध करा रही है, सोसायटियों में एन पी के खाद भी उपलब्ध नही है । जिससे किसानों की परेशानी बढ़ गयी है। किसान गोपाल कौशिक, चेतन गायकवाड़ और मनोहर साहू ने बताया कि खेतों में डी ए पी खाद की ज्यादा आवश्यकता पड़ती है नही तो बहुत नुकसान हो जायेगा। सोसायटी में डी ए पी व एन पी के दोनों खाद नही है। उन्होंने बताया कि बाजार से डी ए पी लेंगे तो सरकारी रेट से 400- 500 रुपये महंगा मिलता है। सहकारी समिति बरोण्डा बाजार के समिति प्रभारी रोहित साहू ने बताया कि 558 किसानों ने खाद के लिए आवेदन किया है जिसमें से 288 किसानों को खाद दे चुके है । डी ए पी पिछले एक हफ्ते से नही है। 2000 कट्टा के लिए पैसा जमा किये हैं, लेकिन 1000 कट्टा ही मिला था। उन्होंने बताया कि अधिकारी ने उन्हें बता रहे है कि डी ए पी खाद नही आयेगा । इसके जगह एन पी के खाद आयेगा, लेकिन वर्तमान में दोनों खाद नही है। बता दें कि खेती – किसानी शुरु होने से पहले ही खाद- बीज का भण्डारण कर लेने का विभागीय दावा किया जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बंया कर रही है।
डी ए पी खाद की शार्टेज है उसकी जगह एन पी के खाद दिया जा रहा है। जैसे – जैसे खाद की उपलब्धता होती है वैसे – वैसे सोसायटियों को भेजा जायेगा।
टिकेन्द्र राठौर
अधिकारी, जिला विपणन महासमुंद