छात्रावास में विधिक जागरूकता शिविर, महिलाओं से संबंधित अपराधों की दी गई जानकारी

महासमुंद 30 नवंबर 2024। विधिक जागरूकता विषयों पर आधारित तथा विशेष कानूनी थीम सरल कानूनी शिक्षा के माध्यम से न्यायाधीशों द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव दामोदर प्रसाद चंद्र ने बताया कि जिला न्यायालय तथा तालुका स्थित न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा स्कूल, कॉलेज, छात्रावास और ग्राम पंचायत में जाकर शिविर के माध्यम से छात्राओं एवं नागरिकों को अलग-अलग कानून के विषयों पर आधारित सरल कानूनी शिक्षा के माध्यम से जानकारी दी जा रही है। इसी तारतम में आज प्रथम जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुश्री संघपुष्पा भतपहरी ने मचेवा स्थित मैट्रिक आदिवासी कन्या छात्रावास पहुंच कर उपस्थित छात्राओं को कानून के विभिन्न विषयों से संबंधित सर्व सरल एवं संस्था पूर्ण जानकारी प्रदान की गई। उत्सुक छात्रों के पूछे गए सवालों का विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई। शिविर में प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा अपने उद्बोधन में महिलाओं एवं बच्चों से संबंधित होने वाले अपराधों एवं महिलाओं के अधिकार संबंधित कानून जैसे महिला अधिकार संरक्षण अधिनियम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया है।
इसी प्रकार दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961 कानून देश की मांग एवं दहेज के कारण होने वाली हिंसा को रोकने के लिए बनाया गया है। महिला सुरक्षा अधिनियम के तहत यह कानून महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों के लिए कठोर दण्ड का प्रावधानों को उल्लेखित करता है इसके अलावा यौन उत्पीड़न अधिनियम , बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम , महिला आरक्षण विधेयक, महिला सशक्तिकरण नीति और यौन अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के संबंध में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई। इसके अलावा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा दिए जाने वाले विधिक सलाह एवं सहायता के बारे में जानकारी देते हुए कहां की भारतीय संविधान के अनुच्छेद-39 में सभी के लिए न्याय सुनिश्चित किया गया है और गरीबों तथा समाज के कमजोर वर्गों के लिए निशुल्क कानूनी सहायता की व्यवस्था की गई है। ताकि सबको न्याय मिल सके संविधान के अनुच्छेद 14 और 22 के तहत राज्य का यह उत्तरदायित्व है कि वह सबके लिए समान अवसर सुनिश्चित करें। समानता के आधार पर समाज के कमजोर वर्गों को सक्षम विधिक सेवाएं प्रदान करने के लिए 1987 में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम पारित किया गया। इसी के तहत राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नालसा का गठन किया गया है जो कानूनी सहायता कार्यक्रम लागू करने और उसका मूल्यांकन एवं उसके तहत निगरानी का कार्य कर लोगों को कानूनी सहायता और सलाह उपलब्ध कराती है। इसी प्रकार प्रत्येक राज्य में एक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जिसके अंतर्गत उसे राज्य के हर जिला में और तालुका स्तर पर समिति का गठन किया गया है । इसका कार्य नालसा की नीतियों और निर्देशों को कार्य को रूप देना और लोगों को निशुल्क कानूनी सेवा प्रदान करना होता है।