जिले के 182 खरीदी केन्द्रों में 86 प्रतिशत धान जाम
अधिकांश उपार्जन केन्द्रों से उठाव कछुआ गति से हो रही है
महासमुंद। जिलेभर के 182 उपार्जन केंद्रों में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी निरंतर जारी है, लेकिन उठाव कछुआ गति से चल रही है। जिले के 182 उपार्जन केन्द्रों में लगभग 86 प्रतिशत धान अभी भी जाम पड़ा है। अधिकांश उपार्जन केन्द्रों में धान खरीदी अब बफर लिमिट के पार हो गई है। यदि,जल्द ही उठाव की गति तेज नहीं हुई तो खरीदी प्रभावित हो सकती है।
बता दें कि 15 नवंबर से शुरू हुई धान खरीदी के 36 दिन पूरे हो गए हैं, इसके बाद भी 182 में से आधी सोसाइटियों में धान का उठाव शुरू नहीं हो पाया है। खरीदी केंद्रों में सभी चबूतरे धान के स्टेक से फुल हो चुके हैं। स्थिति यह है कि जिले में कुछेक उपार्जन केंद्रों को छोड़ दें तो अधिकांश उपार्जन केन्द्रों में धान उठाव शुरू भी नहीं हुआ है। जैसे-जैसे समय बीत रहा है। वैसे-वैसे अब समितियों की परेशानी बढ़ रही है। जानकारी के अनुसार 21 दिसंबर तक कुल 61632 किसानों से 362754.08 टन धान खरीदी की जा चुकी है। लेकिन, मात्र 50220.9 टन का ही उठाव अब तक हो पाया है। जो कुल खरीदी का मत्र 13.8 प्रतिशत है। अब भी पूरे 182 केन्द्रों में 312533.89 टन (86.15 प्रतिशत) धान जाम पड़ा हुआ है। समितियों के अनुसार यदि, सप्ताहभर में धान का उठाव नहीं हुआ तो विकट स्थिति निर्मित हो जाएगी।
उठाव नहीं हुआ तो समितियों पर पड़ेगा बोझ
सहकारी कर्मचारी संघ के पूर्व जिलाध्यक्ष जयप्रकाश साहू ने कहा कि वर्तमान में जिले की सहकारी समितियां जैसे-तैसे व्यवस्था बनाकर खरीदी सुचारू रूप से चला रही है। उन्होंने कहा कि खरीदी लगभग एक माह से अधिक बीत चुका है। धान का उठाव न होने से अब धान रखने जगह का अभाव शुरू हो गया है। नई जगह बनाने के लिए समितियों पर प्रकाश व्यवस्था, तिरपाल, कैमरे तथा अतिरिक्त चौकीदार के खर्च का बोझ बढ़ जाएगा तथा चोरी आदि का भी भय बना रहेगा। इधर, अब 24 घंटे टोकन कटना शुरू हो चुका है। ऐसे में उपार्जन केंद्रों में लगातार धान की आवक होगी और उपार्जन केंद्रों पर धान का दबाव बढ़ेगा। यही नहीं, जो धान प्रारंभ में खरीदे गए हैं उनमें सूखत आएगी, इससे सहकारी समितियों को नुकसान होगा।
