करोड़ के भ्रष्टाचार को अंजाम देने अपात्र फर्म को दिया क्रय आदेश: विनोद
महासमुंद। पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने कहा कि बार-बार जीरो टालरेंस की बात करने वाली भाजपा सरकार में कृषि विभाग में हुए करोड़ों के भ्रष्टाचार पर कार्रवाई ना किया जाना यह साबित कर रहा है कि सरकार की कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है। पूरे साक्ष्यों के साथ की गई शिकायत के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं किया जाना प्रशासनिक मिलीभगत को सतह पर ला दिया है। उन्होंने कहा कि उप संचालक कृषि द्वारा जिला खनिज न्यास निधि (डीएमएफ) से लगभग 2 करोड़ 22 लाख रुपए का फर्जी तरीके से भ्रष्टाचार की नीयत से 22.11.2024 को निविदा आमंत्रित कर अपात्र फर्म माता दी इलेक्ट्रिकल्स गरियाबंद को मेटलेक पॉवर स्पेयर 15 लीटर कीमत 6300 रुपए की दर से प्रति स्पेयर क्रय करने का आदेश दिया गया। जबकि, खुले बाजार में यही स्पेयर 2000 से 2500 रुपए की दर पर बिक रहे हैं। तीन गुना दर बढ़ाकर क्रय करने का षड्यंत्र रचा गया। सप्लायर द्वारा महासमुन्द ब्लॉक के लिए 695 नग, पिथौरा को 695 नग, बागबाहरा, बसना एवं सरायपाली ब्लॉक को 694-964 नग की आपूर्ति की गई। किसानों द्वारा अंश राशि जमा करने में असहमति व्यक्त करने पर इसका वितरण नहीं हो पाया। चंद्राकर ने कहा कि कृषि विभाग में करोड़ों के भ्रष्टाचार उजागर होने पर मुख्यमंत्री को कार्रवाई के लिए किस बात का इंतजार है। शासन द्वारा जिम्मेदारों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई, यदि शासन द्वारा कार्रवाई का आदेश दिया गया है तो उसका पालन क्यों नहीं हुआ। क्या सरकार के आदेश का प्रशासनिक अधिकारी उल्लंघन कर रहे हैं, या शासन का प्रशासन पर अंकुश नहीं है? चंद्राकर ने आगे कहा कि उप संचालक कृषि कार्यालय महासमुंद भ्रष्टाचार करने के लिए जिले में सबसे बड़ा शॉपिंग मॉल बन गया है। उप संचालक कृषि कार्यालय में हुए भ्रष्टाचार की शिकायत कलेक्टर, कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) के साथ-साथ विभागीय मंत्री तक को पुख्ता सबूतों के साथ अप्रैल 2025 से लगातार की गईं। कार्रवाई नहीं होने पर स्मरण पत्र भी इन्हीं अधिकारियों को भेजा गया। उसके बावजूद आज दिनांक तक कोई कार्रवाई नहीं हो पायी। विभागीय मंत्री के संज्ञान में मामला आने के बाद भी अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होना यह प्रमाणित करता है कि कहीं न कहीं सत्ता संरक्षण में ये अधिकारी खुलेआम लूट मचा रखी है। इसी कार्यालय के अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा ऑनलाइन के माध्यम से भ्रष्टाचार की राशि अपने खाते में ली गई है, इसकी भी शिकायत कलेक्टर महासमुंद को 16 अप्रैल 2025 को किए जाने के बाद भी किसी तरह की कोई जांच कार्रवाई न होना कई तरह के संदेहों को जन्म देता है। विभागीय अधिकारियों के अलावा जिला प्रशासन के अधिकारियों के मिलीभगत की आशंका है। चंद्राकर ने कहा कि यही नहीं उप संचालक कृषि द्वारा जैविक खेती मिशन अंतर्गत किसानों को 10 हजार रुपए के जैव आधारित कीट प्रबंधन तत्व एवं अन्य वस्तुएं दिए जाने का प्रावधान संचालक, कृषि द्वारा दिया गया। जिसे न मानते हुये जिस वस्तु का उल्लेख आदेश में नहीं है मेटलेक पॉवर स्पेयर जो नार्म्स में नहीं है, को क्रय कर कृषकों को लेने हेतु बाध्य किया गया।