बहन सुभद्रा-भाई बलभद्र के साथ भ्रमण पर निकले भगवान जगन्नाथ
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भक्तों ने जयकारा के साथ खींचा रथ
महासमुंद। भगवान जगन्नाथ महाप्रभु की रथ यात्रा श्री राम जानकी मंदिर से बड़े ही धूमधाम व गांजे – बाजे के साथ निकाली गई। भक्तों ने बड़ी ही भक्ति और श्रद्धा के साथ भगवान जगन्नाथ महाप्रभु को रथ पर विराजमान किया। इस पावन अवसर पर भगवान के साथ बहन सुभद्रा और बड़े भैया बलभद्र जी का विशेष श्रृंगार किया। भगवान रथ पर विराजमान हुए तो भक्तों ने भगवान की जयकारा लगाते हुए आरती उतारी। उसके बाद भक्तों ने रथ को रस्सी के सहारे खींचने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस मौके पर भक्तों को सुप्रसिद्ध गजा – मूंग का प्रसाद वितरण किया गया। भगवान जगन्नाथ आज रात गुंडिचा मंडप में विश्राम करेंगे।
महासमुंद के पुरानी बस्ती स्थित श्रीराम जानकी मंदिर से भगवान जगन्नाथ महाप्रभु की भव्य रथयात्रा निकाली गई। इसके पहले अलसुबह मंगल आरती के साथ मंदिर के पट खोले गए, और भगवान जगन्नाथ को भोग लगाया गया। भक्तों ने भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भैया बलभद्र को रथ पर विराजमान किया। आरती उतारी और फिर रथ को मंदिर परिसर में ही घुमाया गया। इसके बाद भक्तों ने जयकारा के साथ भगवान जगन्नाथ भ्रमण पर निकले। रथयात्रा के आगे आगे गांजे बाजे के साथ भक्त झूमते हुए निकले। भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। अधिक भीड़ के कारण भक्तों ने दूर से ही श्रद्धा के साथ भगवान जगन्नाथ को नमन किया। भक्तों ने गजा मूंग प्रसाद के लिए रथ पर सवार पुरोहितों को रूमाल आदि देकर उसमें प्रसाद ग्रहण किया। रथयात्रा श्रीराम जानकी मंदिर से निकल कर नेहरू चौक, स्वामी चौक पहुंचे। भगवान जगन्नाथ की एक झलक पाने तुमगांव ओवर ब्रिज की उंचाई पर भक्तों की लंबी कतार लगी रही। इसके बाद रथयात्रा आगे बढ़ अंबेडकर चौक, बिठौवा टाकीज चौक, महामाया मंदिर होते हुए पुरानी बस्ती पहुंचेंगे और रात्रि गुंडिचा मंडप में भगवान जगन्नाथ महाप्रभु, बहन सुभद्रा और बड़े भैया बलभद्र विश्राम करेंगे।
6 जुलाई को बहुड़ा यात्रा
पौराणिक कथा के मुताबिक नगर भ्रमण के बाद वे अपनी मौसी के यहां विश्राम करने जाएंगे। जिस दिन भगवान भक्तों को दर्शन देते हैं उस दिन को लोग रथयात्रा पर्व के रूप में मनाते हैं। 6 जुलाई को भगवान अपने मौसी के घर से वापस मंदिर आएंगे जिसे बहुड़ा यात्रा पर्व के रूप में मनाया जाएगा। मंदिर पहुंचने के बाद भगवान सो जाएंगें, इसके बाद कोई मांगलिक कार्य नहीं होगा।
