शोध प्रविधि के लिए कॉलेज में हुई कार्यशाला

महासमुंद। हिंदी विभाग एवं शोध संवर्धन समिति के संयुक्त तत्वावधान में छात्रों के लिए शोध प्रविधि के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हिन्दी विभाग में किया गया।
कार्यशाला में डॉ.रीता पांडेय कला संकाय अध्यक्ष, डॉ.मालती तिवारी शोध निर्देशक एवं संयोजक, शोध संवर्धन समिति, डॉ. नीलम अग्रवाल विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र, विषय विशेषज्ञ के रूप में डॉ. ईपी चेलक शोध निर्देशक, सदस्य शोध संवर्धन समिति, डॉ .सरस्वती वर्मा शोध निर्देशक, सहायक प्राध्यापक शास.माता कर्मा कन्या महाविद्यालय महासमुंद उपस्थित थे।
प्राचार्य प्रो. करुणा दुबे ने कहा कि शोध प्रविधि पर आधारित कार्यशाला से छात्रों में शोध दृष्टि का विकास होगा। छात्रों को समस्या समाधान के नए आयाम मिलेंगे। छात्रों के व्यक्तित्व के चहुंमुखी विकास के लिए कार्यशाला सहयोगी होगा। डॉ. दुर्गावती भारतीय ने प्रतिवेदन पठन किया । शोध प्रविधि कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिन्दी विभाग का उद्देश्य विद्यार्थियों में तार्किक व खोजी प्रवृति का विकास करना है। विद्यार्थियों में स्थानीय से लेकर वैश्विक स्तर तक की संस्कृति, घटनाओं में सत्यता को देख पाने की क्षमता का विकास हो सकेगा। विद्यार्थी अपने ज्ञान का उपयोग समाज हित में कर सकें। इसी उद्देश्य को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया है।
डॉ.रीता पांडेय ने कहा कि शोध से कभी घबराना नहीं चाहिए। शोध सत्य पर आधारित है। सत्य के अन्वेषण से हम पहले से बेहतर होते जाते हैं। डॉ. मालती तिवारी ने कहा कि महाविद्यालय के शोध संवर्धन समिति छात्रों में शोध व्यवहार को बढ़ावा देने हेतु प्रतिबद्ध है। उन्होंने छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए कहा अपने क्षमतानुसार शोध के लिए कोई एक क्षेत्र चुनकर अपना श्रेष्ठ दें। इससे देश ही नहीं, पूरे विश्व का भला होगा।
डॉ.नीलम अग्रवाल ने कहा कि शोध के लिए आगे बढ़ें। आपका एक कदम आपको मंजिल तक ले जाएगी। शोध स्वस्थ वातावरण का निर्माण करता है, जिससे नवीन कार्य होते हैं। वनस्पति शास्त्र के शोध निर्देशक डॉ.ई पी चेलक ने संपूर्ण शोध प्रविधि को पीपीटी के माध्यम से छात्रों को समझाया उन्होंने शोध के प्रत्येक चरण को क्रमश: एवं उदाहरण के साथ सरल शब्दों में बताया। हिन्दी के शोध निर्देशक डॉ.वर्मा ने कहा कि किसी कार्य के प्रारंभ के पूर्व मन में जो कल्पना करते हैं, वही रूपरेखा के निर्धारण का आधार बनता है। यहीं से शोध को एक दिशा मिलती है। सत्य के साथ चलते हुए हम परिणाम तक पहुंचते हैं। कार्यक्रम का संचालन डॉ.जीवन चंद्राकर ने व आभार ज्ञापन डॉ. सीमा रानी प्रधान ने किया । इस अवसर पर कल्याणी साहू, जनभागीदारी शिक्षक हिन्दी, चितेश्वरी साहू जनभागीदारी शिक्षक समाजशास्त्र, हिंदी विभाग के छात्र-छात्राओं के साथ कला संकाय के अन्य छात्र-छात्राओं की उपस्थिति रही।