केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने श्रम कल्याण के लिए ऐतिहासिक बजटीय आवंटन की प्रशंसा की
नई दिल्ली 02 फरवरी 2025। केंद्रीय बजट 2025 भारत के श्रम कल्याण परिदृश्य में एक ऐतिहासिक पहल है, जिसमें गिग श्रमिकों को औपचारिक मान्यता और सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करने के लिए एक व्यापक रूपरेखा है। इस निर्णय की सराहना करते हुए, केंद्रीय श्रम एवं रोजगार और युवा मामले एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने देश भर में 1 करोड़ से अधिक गिग श्रमिकों के कल्याण सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की सराहना की।
इस घोषणा के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण के प्रति आभार व्यक्त करते हुए डॉ. मांडविया ने कहा, “गिग वर्कफोर्स भारत की नए युग की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो डिजिटल प्लेटफॉर्म पर नवाचार और दक्षता को बढ़ावा देता है। उनके योगदान को मान्यता देते हुए, उन्हें पीएम जन आरोग्य योजना के तहत पहचान पत्र, ई-श्रम पंजीकरण और स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करने का सरकार का निर्णय उनकी सामाजिक सुरक्षा और कल्याण की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है। यह पहल लगभग 1 करोड़ गिग वर्कर्स को सशक्त बनाएगी। इसके अलावा, सरकार अन्य असंगठित क्षेत्रों के श्रमिकों को भी सामाजिक सुरक्षा लाभ देने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि देश के प्रत्येक श्रमिक के लिए सम्मान, सुरक्षा और समृद्धि सुनिश्चित हो सके।”
डिजिटल प्लेटफॉर्म के उदय ने रोजगार में क्रांति ला दी है, जिससे लचीले कार्य व्यवस्था के नए अवसर पैदा हुए हैं। भारत की गिग और प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था में तेजी से विस्तार हुआ है, नीति आयोग की रिपोर्ट ‘भारत की तेजी से बढ़ती गिग और प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था’ में अनुमान लगाया गया है कि इस क्षेत्र में कार्यबल 2024-25 में 1 करोड़ को पार कर जाएगा और 2029-30 तक 2.35 करोड़ हो जाएगा।
इस परिवर्तन को मान्यता देते हुए, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 (सीओएसएस, 2020) ने पहली बार ‘एग्रीगेटर’, ‘गिग वर्कर’ और ‘प्लेटफ़ॉर्म वर्कर’ को परिभाषित किया और पहली बार गिग और प्लेटफ़ॉर्म वर्कर्स के लिए कानूनी प्रावधान पेश किए, जिससे सामाजिक सुरक्षा उपायों में उनका समावेश सुनिश्चित हुआ। इस ढांचे ने इस गतिशील कार्यबल की ज़रूरतों के अनुरूप संरचित कल्याण पहलों के लिए आधार तैयार किया।
केंद्रीय बजट 2025-26 इस यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जिसमें प्लेटफ़ॉर्म-आधारित गिग वर्कर्स को औपचारिक मान्यता और सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करने की व्यापक पहल की गई है। माननीय वित्त मंत्री ने विशिष्ट पहचान पत्रों के माध्यम से उनकी पहचान को आसान बनाने, ई-श्रम पोर्टल पर उनके पंजीकरण को सुव्यवस्थित करने और पीएम जन आरोग्य योजना के तहत स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच सुनिश्चित करने के उपायों की घोषणा की है। ये कदम विभिन्न क्षेत्रों में 1 करोड़ से अधिक गिग वर्कर्स के लिए सुरक्षा जाल को और मजबूत करेंगे।
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा ई-श्रम पोर्टल पर प्लेटफॉर्म श्रमिकों और एग्रीगेटर्स को पंजीकृत करने के लिए एक पायलट पहल पहले ही शुरू की जा चुकी है। एक एग्रीगेटर मॉड्यूल का भी पायलट परीक्षण किया गया है, जिससे डिजिटल प्लेटफॉर्म खुद को और अपने कर्मचारियों को असंगठित श्रमिकों के लिए भारत के राष्ट्रीय डेटाबेस पर शामिल कर सकेंगे। इस पायलट के हिस्से के रूप में, चार प्रमुख एग्रीगेटर- अर्बन कंपनी, ज़ोमैटो, ब्लिंकिट और अंकल डिलीवरी- पहले ही पंजीकृत हो चुके हैं।
बजट 2025 की घोषणा इस पहल का एक महत्वपूर्ण विस्तार है, जो इन प्रयासों को बड़े पैमाने पर बढ़ाने और संस्थागत बनाने में सक्षम है। बढ़े हुए संसाधनों के साथ, यह पहल सुनिश्चित करेगी कि प्रत्येक गिग और प्लेटफ़ॉर्म कार्यकर्ता को ई-श्रम पोर्टल के माध्यम से आवश्यक सामाजिक सुरक्षा लाभ मिल सकें, जिससे इस कार्यबल के हितों की रक्षा के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को बल मिलेगा।
मंत्रालय इन पहलों के निर्बाध क्रियान्वयन, किसी भी परिचालन चुनौतियों का समाधान करने और डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ सहयोग को मजबूत करने पर केंद्रित है। बड़े पैमाने पर नीतिगत समर्थन के साथ शुरुआती जमीनी कार्य को जोड़कर, सरकार का लक्ष्य गिग वर्कर्स के लिए एक मजबूत सुरक्षा जाल बनाना है, जिससे भारत के उभरते रोजगार परिदृश्य में उनकी सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित हो सके।