मत्स्य पालन के क्षेत्र में बेस्ट इनलैंड डिस्ट्रिक्ट राष्ट्रीय अवार्ड से कांकेर को नवाजा गया, सीएम ने दी बधाई

उत्तर बस्तर कांकेर, 23 नवम्बर 2024। मत्स्य पालन के क्षेत्र में उत्कृष्ट उत्पादन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जिले को ’बेस्ट इनलैंड डिस्ट्रिक्ट’ अवार्ड से नवाजा गया है। 21 तारीख को विश्व मात्स्यिकी दिवस के अवसर केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन, डेयरी एवं पंचायतीराज मंत्री राजीव रंजन सिंह, राज्य मंत्री प्रोफेसर एस.पी. सिंह बघेल एवं जॉर्ज कुरियन ने मछली विभाग के संचालक एन के नाग, सहायक संचालक एस.एस. कंवर को दिल्ली के सुषमा स्वराज भवन में ट्रॉफी एवं प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया।
राज्य को इससे पूर्व भी मत्स्य पालन के क्षेत्र में देश के बेस्ट इनलैंड स्टेट का अवार्ड मिल चुका है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने देश का बेस्ट इनलैंड डिस्ट्रिक्ट अवार्ड मिलने पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए अपनी शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा है कि लैंड लॉक प्रदेश होने के बावजूद भी मत्स्य पालन के क्षेत्र में देश में अग्रणी स्थान पर है। मछली बीज उत्पादन में छत्तीसगढ़ देश का आत्मनिर्भर राज्य है। यह राज्य के मत्स्य कृषकों की मेहनत का परिणाम है। ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ में मछली पालन के लिए 2.032 लाख हेक्टेयर जल क्षेत्र है, जिनमें से 96 प्रतिशत में किसी न किसी रूप में मत्स्य पालन हो रहा है। राज्य में प्रतिवर्ष 546 करोड़ मत्स्य बीज तथा 7.30 लाख टन मत्स्य उत्पादन हो रहा है। यहां से पड़ोसी राज्यों को भी मत्स्य बीज का निर्यात होता है। राज्य मत्स्य बीज उत्पादन में देश में 6वें तथा मत्स्य उत्पादन में देश में 8वें स्थान पर है।
सहायक संचालक मछलीपालन ने बताया कि कांकेर जिला पूरे छत्तीसगढ़ में मछली पालन के क्षेत्र में एक विशिष्ट स्थान रखता है। जिले में वर्तमान में सर्वाधिक 32 मत्स्य बीज हैचरी संचालित है जिनमें 33402 लाख स्पॉन तथा 13139 लाख स्टैंडर्ड फ्राई मत्स्य बीज उत्पादन करते हुए छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों के साथ-साथ अन्य राज्यों जैसे मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, बिहार, झारखण्ड एवं उत्तरप्रदेश में निर्यात किया जाता है। उन्होंने बताया कि जिले में कुल 30562 जल निकायों जलक्षेत्र 12137 हेक्टेयर में लगभग 15998 मत्स्य कृषकों के द्वारा सक्रिय रूप से मछली पालन का कार्य करते हुए कुल 84766 मेट्रिक टन मछली का उत्पादन किया जा रहा है, जो छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक है। यह भी बताया गया कि जिले के दुधावा जलाशय में 228 केज स्थापित है जिसमें 651 टन का अतिरिक्त मत्स्योपादन लिया जा रहा है। वहीं मछली पालन एवं सम्बद्ध गतिविधियों से जिले के कृषकों द्वारा प्रतिवर्ष लगभग 500 करोड़ का व्यवसाय किया जा रहा है।