शिक्षा में सहयोग भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों का आधार है : धर्मेंद्र प्रधान

एक ‘विश्व-बंधु’ के रूप में, भारत मानव-केंद्रित विकास में एक विश्वसनीय भागीदार बनने के लिए प्रतिबद्ध है : धर्मेंद्र प्रधान
नई दिल्ली, 24 अक्टूबर 2024। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में ऑस्ट्रेलियाई अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन में अपना मुख्य संभाषण दिया। श्री प्रधान ने ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा मंत्री जेसन क्लेयर के साथ द्विपक्षीय बैठक भी की। इस कार्यक्रम में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य, दोनों देशों के विश्वविद्यालयों के प्रमुख और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
श्री प्रधान ने अपने संबोधन में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मजबूत और विकसित होती साझेदारी की सराहना की, जो दोनों देशों के इतिहास को जोड़ती है और साथ मिलकर एक उज्जवल भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त करेगी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री श्री एंथनी अल्बानी के दूरदर्शी नेतृत्व में इन संबंधों को और मजबूत बनाने की भी पुष्टि की।
श्री प्रधान ने कहा कि चौथी औद्योगिक क्रांति में शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों को प्रौद्योगिकी के निर्माता और प्रबंधक बनने के लिए तैयार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति डिजिटल साक्षरता, सॉफ्ट स्किल्स, आलोचनात्मक सोच और अंतःविषय अध्ययनों पर बल देते हुए एक रूपरेखा प्रदान करती है, ताकि उभरते हुए रोजगार बाजारों के अनुकूल हो सकें।
श्री प्रधान ने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा में सहयोग भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों का आधार है। उन्होंने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य भारत की शिक्षा प्रणाली को योग्यता आधारित ढांचे में बढ़ाना है, जिसमें भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में उल्लिखित कौशल आधारित शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
मंत्री ने बताया कि किस प्रकार से एनईपी 2020 ने भारत के शिक्षण परिदृश्य को संभावनाओं के एक केंद्र में बदल दिया है, भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच स्थायी संबंध और एनईपी 2020 द्वारा संचालित शिक्षा सहयोग में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि भारत में ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय परिसरों की स्थापना केवल शुरुआत है और इसमें बहुत कुछ हासिल करने की संभावनाएं हैं।
उन्होंने कहा कि दोनों देश मिलकर ज्ञान को आगे बढ़ा सकते हैं, वैश्विक चुनौतियों के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठा सकते हैं तथा छात्रों के लिए नवाचार और उद्यमिता के अनंत अवसरों का सृजन कर सकते हैं। मंत्री ने कहा कि ‘विश्व-बंधु’ के रूप में भारत मानव-केंद्रित विकास में एक विश्वसनीय भागीदार बनने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य वैश्विक नागरिकों का निर्माण और पोषण करना है, जो अगली पीढ़ी के लिए एक उज्जवल भविष्य में योगदान दे सकें।
जेसन क्लेयर एमपी ने अपने भाषण में एक बेहतर शिक्षा प्रणाली के महत्व पर जोर दिया जो सिर्फ जीवन ही नहीं बदल सकती, बल्कि यह राष्ट्रों को भी बदल सकती है। भारत की शिक्षा प्रणालियों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि 2035 तक दुनिया भर में विश्वविद्यालय की डिग्री प्राप्त करने वाले चार में से एक व्यक्ति को डिग्री भारत से मिलेगी। उन्होंने बताया कि कैसे डेकिन जैसे ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय 30 वर्षों से भारत में हैं और अब वोलोंगोंग में एक परिसर है। उन्होंने इन पहलों को प्रोत्साहित करने के लिए श्री प्रधान का आभार व्यक्त किया। उन्होंने भारत में एक कंसोर्टियम परिसर के लिए विकल्प तलाशने के लिए छह नवाचार अनुसंधान विश्वविद्यालयों द्वारा किए जा रहे कार्य की भी प्रशंसा की।