
यूरोप. पूरे विश्व में इस समय महंगाई अपने चरम पर है. जानकार इसके पीछे रूस- यूक्रेन के बीच रहे है युद्ध को कारण बताते है. कुछ जानकारों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के चलते भी महंगाई में बढ़ोतरी हुई है. इसी बीच यूरोप से एक हैरान करने वाली खबर सामने आई है. दरअसल एक रिसर्च में पता चला है कि यूरोप में अन्न की बर्बादी उसके आयात की तुलना में ज़्यादा हो रही है. फीडबैक ईयू के रिसर्च के मुताबिक यूरोप में हर साल करीब 15.30 करोड़ टन भोजन की बर्बादी होती है.
अकेले यूरोप में जितनी गेहूं की बर्बादी होती है, उतने ही गेहूं में यूक्रेन की आधी आबादी का पेट भरा जा सकता है. फीडबैक ईयू के निर्देशक फ्रैंक मेचिल्सन ने कहा कि उच्च खाद्य कीमतों और जीवन के संकट के समय में अनाज की इतनी बर्बादी करना एक बड़ी अव्यवस्था को पैदा करने जैसा है. रिसर्च के मुताबिक फ्रैंक ने कहा कि हमें 2030 तक इस बर्बादी को 50 फीसदी तक कम करना है. इसका समर्थन करीब 43 पर्यावरण संबंधी गैर-लाभकारी संस्थाओं ने भी किया है.
