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मिर्च फसलों पर थ्रिप्स कीट के प्रकोप की आशंका, किसानों को बचाव के संबंध में दी गई जानकारी

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कोरबा । जिले में पिछले एक महीने से मौसम में उतार-चढ़ाव के स्थिति देखने को मिल रही है। इस कारण मिर्च की फसलों पर थ्रिप्स कीट के प्रकोप का खतरा मंडरा रहा है। ऐसी स्थिति में किसानों को अपने फसलों की सुरक्षा तथा कीट प्रकोपों से बचाव के लिए जिले के किसानों को जागरूक किया जा रहा है। जिले के सभी किसानों को अपने फसलों को थ्रिप्स कीट से सुरक्षित रखने के लिए जानकारी भी प्रदान की जा रही है।
कीट विज्ञान विभाग के अधिकारी ने बताया कि थ्रिप्स कीट लगभग एक मिलीमीटर लंबे होते हैं। मादा कीट भूरे सिर वाले तथा नर कीट पीले रंग के होते हैं। थ्रिप्स कीट अपने अण्डे पत्ती के उतकों के अंदर देते हैं। इन कीटों का जीवन काल लगभग दो सप्ताह का होता है। ये कीट पौध के पत्तियों की उपरी सतह को खुरच कर इनका रस चूस लेते हैं जिससे पत्तियां भूरे या काले रंग की हो जाती है और फूल भी बदरंग हो जाते हैं। कीट विज्ञान विभाग और इंदिरा गांधी कृषि विश्व विद्यालय रायपुर द्वारा इन कीटों से बचाव के लिए उपाय भी बताए गए हैं। कीट विज्ञान विभाग के विशेषज्ञों ने बताया कि जिले के किसानों को कीटों के प्रकोप से बचाव के लिए फसल चक्र अपनाना चाहिए तथा खरपतवारों को समय-समय पर नष्ट करना चाहिए। जिले के किसान संतुलित उर्वरकों का उपयोग कर तथा पौधों के प्रभावित भागों को नष्ट करके अपने फसलों को कीटों के प्रकोप से बचा सकते हैं। कीट विशेषज्ञों ने कीटों से बचाव के लिए रासायनिक नियंत्रण के भी सुझाव दिए। जिसके अनुसार इमिडौक्लोप्रिड को पानी की उचित मात्रा में मिलाकर छिड़काव से भी फसलों को कीटों के प्रकोप से बचाया जा सकता है। किसान प्रति हेक्टेयर एसीफेट की 790 ग्राम को 500 ली. पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं या एमोमेक्टिन बेंजोएट की 375 ग्राम मात्रा को 500 ली. पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर फसलों को कीटों के प्रकोप से बचा सकते हैं। जिले के किसान अपने फसलों को थ्रिप्स कीट से बचाने तथा उचित प्रबंधन तकनीकी के संबंध में अधिक जानकारी के लिए जिले के लखनपुर कटघोरा के कृषि विज्ञान केन्द्र तथा अपने क्षेत्र के उद्यान विस्तार अधिकारी एवं उद्यान अधीक्षक से संपर्क कर सकते हैं।

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