
बीजापुर। जिला मुख्यालय से 30 घंटो तक लापता धनोरा निवासी एक आदिवासी युवक ने सीआरपीएफ जवानों पर खुद के अपहरण का गंभीर आरोप लगाया है । युवक ने जवानो पर यह आरोप भी लगाया है कि जवान उसे वर्दी पहनाकर गोली मारने की तैयारी किये हुए थे परंतु उसके कुछ न बताने के कारण उसे गुरुवार की रात को उसके घर लाकर छोड़ दिया गया।
धनोरा निवासी आदिवासी युवक शंकर कुड़ियाम ने पत्रकारों को बताया कि वह अपने साथी सुमन तेलम के साथ बुधवार को बीजापुर आया था और पुराने बसस्टैंड के पास अपने बच्चे के लिए कपड़े ले रहा था।
तभी वहां बोलेरो में करीब 4-5 सीआरपीएफ के जवान पहुंचे और जबरदस्ती उसे बोलेरो में बिठा लिया ।
इसके बाद उसके हाँथ बांधकर आंखों में पट्टी बांध दी और उसे सीधे तोयनार ले जाया गया जहां से उसे फिर फरसेगढ़ ले जाया गया । उसके बाद उसे फोन पर किसी परी नाम की लड़की से बात कराया गया । जब उसने उस लड़की को पहचानने से इनकार किया तो देर रात उसे वर्दी पहनाकर कंधे में बन्दूक टांगकर जंगल ले जाया गया ।
उस पर इस बात के लिए दबाव बनाया गया कि वह खुद को नक्सली बताये वरना उसे वहीं गोली मारकर नक्सली घोषित कर दिया जाएगा परन्तु उसके कुछ न कहने के कारण उसे रात को करीब 8 बजे धनोरा सीएएफ कैम्प लाया गया और बाद में उसके परिजनों के पास ले जाकर छोड़ दिया गया।
अपने बड़े भाई धनीराम कुडियम के साथ बीजापुर पहुंचे शंकर ने बताया कि इस दौरान जवानों द्वारा उसके साथ मारपीट भी की गई वहीं इस मामले में बीजापुर एसपी केएल ध्रुव का कहना है कि मुखबिर की सूचना पर संदेह के आधार पर सीआरपीएफ 222 बटालियन द्वारा पूछताछ के लिए लाया गया था। इसे बाद में छोड़ दिया गया
इस मामले में डीआईजी सीआरपीएफ धीरज कुमार का कहना है कि सीआरपीएफ किसी का अपहरण नहीं करता हम यहां नक्सल समस्या को ख़त्म करने आये हैं। इस दौरान संदेह के आधार पर कई लोगों को कार्यालय लाया जाता है और पूछताछ के बाद छोड़ दिया जाता है। पूछताछ के लिए कार्यालय लाया जाना अपहरण नहीं कहलाता। यह जबरन फ़ोर्स को बदनाम करने की साजिश है।
