
सूर्य ग्रहण, वर्ष 2021 में दो लग रहे हैं. जिसमें से एक सूर्य ग्रहण बीते 10 जून 2021 को लग चुका है. अब साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. जो कि बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण की प्रक्रिया को अति महत्वपूर्ण माना गया है. मान्यता है कि जब भी कोई ग्रहण लगता है तो उसका प्रभाव देश-दुनिया के साथ साथ मेष से मीन राशि तक के लोगों को प्रभावित करता है.
पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य ग्रहण तब लगता है जब राहु-केतु सूर्य को जकड़ लेते हैं. ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को अशुभ और पाप ग्रह माना गया है. राहु वर्तमान समय में वृषभ राशि और केतु वृश्चिक राशि में गोचर कर रहा है.
राहु और केतु, स्वरभानु नाम के राक्षस के दो हिस्से हैं. जिसे भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से दो टुकड़े कर दिए थे. इस राक्षस ने समुद्र मंथन से निकले अमृत को पी लिया था. लेकिन ऐन वक्त पर चंद्रमा और सूर्य ने इसकी जानकारी भगवान विष्णु को दे दी, लेकिन अमृत की कुछ बूंदे पी लेने के कारण मर कर भी स्वरभानु अमर हो गया, और इसका सिर राहु और धड़ का हिस्सा केतु कहलाया. चंद्रमा और सूर्य से इसी बात का बदला लेने के लिए राहु और केतु जब हमला करते हैं तो ग्रहण की स्थिति बनती है.
सूर्य ग्रहण
10 जून 2021 के बाद अब दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण पंचांग के अनुसार 4 दिसंबर 2021 को पड़ रहा है. इस सूर्य ग्रहण का का प्रभाव अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका, अटलांटिक के दक्षिणी भाग, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका में अधिक देखने को मिलेगा. माना जा रहा है कि भारत पर इस सूर्य ग्रहण का प्रभाव अधिक नहीं पड़ेगा. क्योंकि यह सूर्य ग्रहण उपछाया सूर्य ग्रहण है.
सूतक काल
मान्यता के अनुसार जब उपछाया और आंशिक सूर्य ग्रहण की स्थिति बनती है तो सूतक काल मान्य नहीं होता है. सूतक काल उसी स्थिति में मान्य होता है जब पूर्ण सूर्य ग्रहण की स्थिति बनती है. सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पूर्व सूतक काल आरंभ होता है.
