महुआ बीनने में अब नहीं लगेगा श्रम, ’’महुआ नेट’’ मिलने से मेहनत हुई कम

दंतेवाड़ा। वर्तमान में पूरे बस्तर के वनांचल क्षेत्र महुए की मादक गंध से महक रहे है और दन्तेवाड़ा जिले में तो महुआ वृक्ष बहुतायत में पायी जाते है। यू तो महुआ सदैव से ही प्रमुख वनोपजों में शामिल रहा है ग्रामीणों के लिए यह मुख्य वनोपज एवं आय के स्रोत के साथ-साथ उनके सांस्कृतिक एवं धार्मिक जनजीवन में विशेष दर्जा रखता है। इसके अलावा महुआ एकत्रण सीजन में तो पूरा का पूरा परिवार ही महुआ वृक्ष के नीचे महुआ एकत्रित करने में जुटा रहता है और यह दृश्य जिले के वनांचलों में आमतौर पर देखने को मिलता है। इससे ग्रामीण समुदाय में महुआ की महत्ता का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। वास्तव में पेड़ से झरते हुए महुआ को एकत्र करना एक श्रम साध्य कार्य है परन्तु अब राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ’’बिहान’’ के माध्यम से महिला समूहों को ’’महुआ नेट’’ प्रदाय कर इस कार्य को सरल बनाया जा रहा है।
इस क्रम में जिला दन्तेवाड़ा से 25 किलोमीटर दूर पर स्थित ग्राम मैलावाड़ा में कुल 33 समूह में से 10 समूहों के 50 सदस्यों को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन “बिहान” जनपद पंचायत कुआकोंडा के तहत ’’महुआ नेट’’ दिया गया है। साथ ही इन समूहों की महिलाओं को महुआ संग्रहण पर प्रशिक्षण भी दिलाया गया है। जिसमें महिलाएं महुआ को सोलर ड्रायर पर सुखाकर फूड ग्रेड महुआ तैयार कर अच्छे दर पर बाजार में विक्रय कर सकें। इसके साथ ही प्रति किलो 40 से 60 रूपये दर पर फूड ग्रेड महुआ क्रय करने हेतु बस्तर फुड संस्था जगदलपुर एवं भूमगादी संस्था दन्तेवाड़ा को दी गई है। बहरहाल ’’महुआ नेट’’ मिलने से महिलाओं ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि पहले दिन भर संग्रहण करना पड़ता था परन्तु महुआ नैट मिलने से यह कार्य अब 1 घंटे मे ही पूरा हो जाता है। इसे देखते हुए अन्य समूहों की महिलाओं एवं ग्राम के अन्य लोगों ने भी ’’महुआ नेट’’ की मांग की है। कुल मिलाकर महुआ नैट प्रदाय से समूहों की दीदियों के लिए समय एवं श्रम की बचत तो हुई ही है साथ ही महुआ की गुणवत्ता भी कायम रखने में मदद मिली है और यह ’’बिहान’’ का सराहनीय प्रयास है।

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