पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में वर्ल्ड एंटरप्रेन्योरशिप डे पर कार्यक्रम का आयोजन

पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में आज, 21 अगस्त 2024 को इंडियन इनोवेशन काउंसिल (आईईसी) द्वारा वर्ल्ड एंटरप्रेन्योरशिप डे के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय की कुलपति, डॉ. सच्चिदानंद शुक्ला के नेतृत्व में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. चेतन सिंह सोलंकी थे, जिन्होंने अपने व्याख्यान से सभी को प्रभावित किया।
कार्यक्रम की शुरुआत द्विप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना से की गई। इसके बाद कुलगीत और सोलर डेवलपमेंट एंथम गाया गया। इसके पश्चात, कविता ठाकुर ने वर्ल्ड एंटरप्रेन्योरशिप डे के महत्व पर प्रकाश डाला और आईईसी तथा डॉ. सोलंकी का परिचय प्रस्तुत किया।
कमलेश श्रीवास ने अपने विचार व्यक्त किए, जिसमें उन्होंने सरकारी नौकरियों की कमी और उद्यमिता के अवसरों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में सरकारी नौकरियों की संख्या में कमी आ सकती है, इसलिए युवाओं को उद्यमिता की दिशा में सोचने की आवश्यकता है।
इसके बाद, मुख्य अतिथि डॉ. चेतन सिंह सोलंकी ने ‘6 पॉइंट अंडरस्टैंडिंग क्लाइमेट चेंज एंड कलेक्टिव एक्शन’ पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि आज हम उन चीजों के विकास के पीछे भाग रहे हैं जिनके बिना हम जी सकते हैं, जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, जबकि हमारी प्रकृति, पर्यावरण, मृदा, जल, और वायु को प्रदूषित कर रहे हैं। डॉ. सोलंकी ने सवाल उठाया कि क्या यह आधुनिकता है या मूर्खता? उन्होंने कहा कि जीडीपी के बढ़ने के बावजूद हमारी खुशहाली कम हो रही है और हिंसा और डिप्रेशन बढ़ रहे हैं।
डॉ. सोलंकी ने बताया कि हमारी ऊर्जा की 85% आपूर्ति कोयला, पेट्रोल, और डीजल से होती है, जिनसे कार्बन उत्सर्जन होता है। यह कार्बन पृथ्वी पर 300 साल तक बना रहता है और इससे वातावरण का तापमान बढ़ता है और मौसम में बदलाव आता है। उन्होंने बताया कि हमें केमिकल-मुक्त खाना और बिना फिल्टर के पानी पीने का प्रयास करना चाहिए। ऊर्जा की हानि को कम करने के लिए AMG (अवॉइड, मिनिमाइज, जेनरेट) विधि का पालन करना चाहिए और समाज की समस्याओं का समाधान एंटरप्रेन्योरशिप द्वारा खोजने की आवश्यकता है।
डॉ. सोलंकी ने यह भी कहा कि सामान्य तकनीक का उपयोग करके ऊर्जा की हानि को बचाया जा सकता है और इस प्रकार हम आत्मनिर्भर बन सकते हैं। उन्होंने सोलर ऊर्जा पर जोर देते हुए कहा कि हमें अपनी मूल अस्तित्व की वजह से सोलर पर वापस आना चाहिए ताकि पृथ्वी जीने के योग्य रह सके।
कार्यक्रम के अंत में, विद्यार्थियों ने प्रश्न पूछे और डॉ. सोलंकी ने उनके उत्तर दिए। इस प्रकार, कार्यक्रम ने उद्यमिता और पर्यावरण संरक्षण के महत्व को स्पष्ट किया और विद्यार्थियों को नए दृष्टिकोण प्रदान किए।