नरवाई ना जलायें, भूमि को उपजाऊ बनायें : उप संचालक कृषि
टीकमगढ़ । उप संचालक कृषि जिला टीकमगढ ए.के. शर्मा के द्वारा बताया गया है कि खेतों में नरवाई जलाने के लिये आग लगाने से भूमि में उपस्थित सूक्ष्म जीव जलकर नष्ट हो जाते है. जिससे जैविक खाद का निर्माण बंद हो जाता है। आग लगाने से भूमि की ऊपरी परत में उपस्थित पोषक तत्व नष्ट हो जाते है। भूमि कठोर हो जाती है, जिससे भूमि की जलधारण क्षमता कम हो जाती है।
उप संचालक कृषि जिला टीकमगढ श्री ए०के० शर्मा के द्वारा बताया गया है कृषि विभाग का मैदानी अमला कृषको से सम्पर्क कर नरवाई जलाने से होने वाली हानि को बता रहा है, नरवाई नही जलाने के लिये जागरूक कर रहा है एवं नरवाई जलाने पर शासन द्वारा लगाये जाने वाले आर्थिक दंड की भी जानकारी प्रदान कर रहा है।
श्री शर्मा के द्वारा सभी किसान भाईयों से अनुरोध किया गया है कि फसलों की कटाई के बाद नरवाई ना जलाये और किसानो को सलाह दी जाती है कि गेहूँ की कटाई के बाद गेहूँ की डंठलो को रोटावेटर चला कर बारीक कर सकते है। गहरी जुताई करके डंठलो को मिटटी मे मिला सकते है। जिससे जैविक/कम्पोस्ट खाद तैयार होगी और नरवाई जलाने के दुष्परिणामों को कम किया जा सकता है।
ज्ञातव्य है कि रबी मौसम की फसलो की कटाई तेजी से हो रही है और खरीफ मौसम की फसलो की बुवाई के लिये किसान भाई कटाई के बाद बची नरवाई में आग लगा देते है, जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है, भूमि की उर्वरा शक्ति भी कम होने लगती है एवं कभी कभी आग फेलने से किसानो की फसले भी नष्ट हो जाती है।