
देहरादून. तीरथ ंिसह रावत ने बुधवार को उत्तराखंड के 10वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की. इसके साथ ही पिछले चार दिनों से प्रदेश में चल रही राजनीतिक उथल-पुथल पर पूर्ण विराम लग गया. यहां राजभवन में आयोजित एक सादे समारोह में प्रदेश की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने रावत को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई.
हालांकि, रावत ने अकेले शपथ ली. शपथ ग्रहण समारोह के बाद केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में दिल्ली से आए भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन ंिसह ने कहा कि अगले एक-दो दिन में उनके मंत्रिमंडल के बारे में निर्णय ले लिया जाएगा.
उन्होंने कहा, ” आज तीरथजी ने शपथ ले ली है. उनके मंत्रिमंडल का विस्तार भी एक-दो दिन में हो जाएगा.”तीरथ ंिसह ने ऐसे समय में प्रदेश की बागडोर संभाली है जब अगले साल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में एक साल से भी कम का समय शेष है.
विधानसभा चुनाव में पार्टी को सत्ता में दोबारा लाना तीरथ ंिसह के लिए एक बड़ी चुनौती होगी. फिलहाल उत्तराखंउ की 70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के पास 56 विधायकों का बहुमत है. इससे पहले, रमन ंिसह और पार्टी मामलों के उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम की मौजूदगी में नए नेता का नाम तय करने के लिए हुई भाजपा विधानमंडल दल की बैठक में पौड़ी गढ़वाल से सांसद तीरथ ंिसह रावत के नाम पर सहमति बनी. इस बैठक में प्रदेश के सभी सांसद भी मौजूद थे.
करीब आधा घंटे तक चली इस बैठक के बाद 57 वर्षीय तीरथ ंिसह को नया मुख्यमंत्री चुने जाने की घोषणा स्वयं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ंिसह रावत ने की जिन्होंने मंगलवार को पद से इस्तीफा देते हुए नए नेता के चयन की राह साफ की थी.
हालांकि, मुख्यमंत्री पद की दौड़ में आगे चल रहे दावेदारों की चर्चा में तीरथ ंिसह का नाम कहीं सुनाई नहीं दिया था जिसके चलते उनके नाम की घोषणा से सभी हैरान रह गए. त्रिवेंद्र ंिसह रावत ने तीरथ ंिसह को उनके कार्यकाल के सफल होने की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उन्होंने स्वयं ही उनके नाम का प्रस्ताव किया था.
तीरथ ंिसह को एक कर्मठ व्यक्ति करार देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने उन्हें अपना छोटा भाई बताया. पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी के राजनीतिक शिष्य कहे जाने वाले तीरथ ंिसह रावत प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष तथा प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं.
रावत के मुख्यमंत्री बनने की घोषणा के बाद भाजपा राज्य मुख्यालय में उनके समर्थकों ने जमकर ढोल नगाड़े बजाकर और मिठाइयां बांटकर जश्न मनाया. इस मौके पर जमकर आतिशबाजी भी की गई. मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद तीरथ ंिसह रावत ने कहा कि वह मिलजुल कर और सबको साथ लेकर काम करेंगे.
यहां संवाददाताओं से बातचीत में रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित केंद्रीय नेतृत्व का आभार जताया और कहा कि उन्हें जो दायित्व सौंपा गया है वह उसका निर्वहन पूरी निष्ठा से करेंगे.
उन्होंने कहा, ” पार्टी ने मुझे यह मौका दिया है और उसके लिए मैं अपने नेतृत्व का बहुत आभारी हूं.” उन्होंने कहा कि उन्हें जो जिम्मेदारी दी गयी है, उसे अच्छी तरह से निभाएंगे और जनता के लिए काम करेंगे. रावत ने राज्य और केंद्र में कई सांगठनिक पदों पर कार्य किया है. वह 2019 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़कर संसद पहुंचे. उन्होंने पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री खंडूरी के पुत्र मनीष को 302669 वोटों के अंतर से हराया था.
विनम्रता और सादगीपूर्ण व्यक्तित्व के स्वामी हैं तीरथ सिंह
दिग्गज भाजपा नेता भुवन चंद्र खंडूरी के राजनीतिक शिष्य के रूप में प्रसिद्ध तीरथ ंिसह रावत अपनी साफ-सुथरी छवि, सहज व्यक्तित्व, विनम्रता के लिए जाने जाते हैं. रावत का उत्तराखंड के 10 वें मुख्यमंत्री के रूप में चयन प्रदेश में सियासी जानकारों से लेकर आमजन तक सभी को चौंका गया.
भाजपा विधानमंडल दल की बैठक से निकलकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ंिसह रावत द्वारा उनके नाम की घोषणा से सब इसलिए भी चौंके क्योंकि पिछले चार दिनों से प्रदेश में चल रही सियासी उठापठक के दौरान उनका नाम इस पद के दावेदारों में कहीं भी सुनाई नहीं दिया .
तीरथ ंिसह को उनके सादगी भरे व्यक्तित्व और भाजपा के जमीन से जुड़े ऐसे नेता के तौर पर जाना जाता है जिनके पास कोई भी अपनी बात लेकर सीधे पहुंच सकता है. फरवरी, 2013 से लेकर दिसंबर 2015 तक उनके प्रदेश अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान उनकी इसी खूबी ने उन्हें कार्यकर्ताओं के बीच काफी लोकप्रिय बनाया.
पौडी जिले में स्थित उनके चौबटटाखाल क्षेत्र के लोग भी उनकी इसी खूबी के कायल हैं जहां के घर-घर में वह एक जाना—पहचाना नाम हैं. उनकी इस खूबी के पीछे उनका संघ से लंबा जुडाव भी माना जाता है. नौ अप्रैल 1964 को पौडी जिले के सीरों गांव में जन्मे तीरथ ंिसह 1983 से 1988 तक संघ प्रचारक रहे. उनके राजनीतिक कैरियर की शुरूआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से हुई जिसमें उन्होंने उत्तराखंड में संगठन मंत्री और राष्ट्रीय मंत्री का पद भी बखूबी संभाला.
तीरथ ंिसह हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे . इसके बाद 1997 में वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद् के सदस्य भी निर्वाचित हुए. वर्ष 2000 में उत्तराखंड बनने के बाद बनी राज्य की अंतरिम सरकार में वह प्रदेश के प्रथम शिक्षा मंत्री बनाए गए. वर्ष 2002 और 2007 में वह विधानसभा चुनाव हार गए लेकिन 2012 में वह चौबटटाखाल सीट से विधायक चुने गए. हालांकि, 2017 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से भाजपा में आए सतपाल महाराज को उनकी जगह चौबटटाखाल से उतारा गया.
इस बीच, 2019 के लोकसभा चुनावों में उनके राजनीतिक गुरू खंडूरी के चुनावी समर में उतरने की अनिच्छा व्यक्त करने के बाद भाजपा ने उन्हें पौडी गढवाल सीट से टिकट दिया और वह जीतकर संसद पहुंचे . लोकसभा चुनाव में तीरथ ंिसह ने कांग्रेस प्रत्याशी और खंडूरी के पुत्र मनीष को 302669 मतों के भारी अंतर से शिकस्त दी. डीएवी पीजी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर तैनात उनकी पत्नी डा रश्मि रावत ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें विश्वास था कि इस बार उनके पति ही मुख्यमंत्री बनेंगे.
