गैस्ट्रोएनट्रेटीस के कारण हुई थी नीलगाय की मौत

पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद वनमंडलाधिकारी ने दी जानकारी
बालोद। बालोद वनमण्डल के बरही सर्कल के अंतर्गत ग्राम नर्रा से लगे किलारगांेदी के जंगल में बीते 24 मई को 04 साल के नर नीलगाय की मौत की वजह के संबंध में वनमंडलाधिकारी बालोद द्वारा पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद जानकारी सार्वजनिक कर दी गई है। वनमंडलाधिकारी श्री बलभद्र सरोटे ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार इस नर नीलगाय की मौत गैस्ट्रोएनट्रेटीस से ग्रसित होने का कारण बताया है। उन्होंने गैस्ट्रोएनट्रेटीस के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि गैस्ट्रोएनट्रेटीस एक ऐसी स्थिति है जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (पेट और आंतों) की सूजन है। ये बैक्टिरिया, वायरस, परजीवी दवाओं एवं नए खाद्य पदार्थों के संक्रमण के कारण हो सकता है। इसके कारण उल्टी-दस्त, आंतों में दर्द एवं अन्य (क्लिनिकल लक्षण) भी दिखते है। उन्होंने बताया कि पशु चिकित्सक डाॅ. अभिषेक मिश्रा के अनुसार नील गाय गैस्ट्रोएनट्रेटीस बीमारी से जुझ रहा था, जिससे उसके शरीर में पानी की कमी हुई। डाॅ. मिश्रा ने बताया कि ऐसी स्थिति में कई बार जानवर खाना-पीना भी छोड़ देता है।
वनमण्डलाधिकारी ने बताया कि नीलगाय की जहाँ मृत्यु हुई है वहाँ से पानी की दूरी महज 246 मीटर है। जहाँ से अन्य वन्य पशुओं को पेयजल उपलब्ध कराया जाता है। जिससे यह स्पष्ट होता है कि नीलगाय की मृत्यु प्राकृतिक मौत थी। वनमण्डाधिकारी ने फरवरी 2024 में बिगड़े वनों के सुधार हेतु बनाए गए परकोलेसन टैंक के संबंध में भी जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि परकोलेसन टैंक कैम्पा से नही बनाया गया है। परकोलेसन टैंक बनाने का उद्देश्य भूजल संरक्षण पुर्नभरण कराना है। इसमें पानी नही रूकता सीधे भूमि के नीचे रिस जाता है। उन्होंने बताया कि वन विभाग द्वारा वन्य प्राणियों को पानी की कमी न हो इसके लिए बालोद एवं गुरूर परिक्षेत्र में बिगड़े हुए वनों के सुधार अंतर्गत मार्च माह मेें झिरिया का निर्माण किया गया था। जिससे कि गर्मी के दिनों में भी वन्य प्राणियों को पेयजल की सुविधा मिल सके।