किसानों को पीपीपी मोड में डिजिटल और उच्च-तकनीक वाली सेवाएं प्रदान करना
Delhi, Ag 3
वर्ष 2018-19 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई-रफ़्तार) के अंतर्गत “नवाचार और कृषि उद्यमिता विकास” नामक एक भाग की शुरुआत की गई है, जिसका उद्देश्य वित्तीय सहायता प्रदान करके और इनक्यूबेशन इकोसिस्टम को विकसित करके नवाचार एवं कृषि उद्यमिता को बढ़ावा देना है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत, स्टार्ट-अप को कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए नवीन तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए विभाग द्वारा नियुक्त ज्ञान भागीदारों और कृषि व्यवसाय इनक्यूबेटरों के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के विभिन्न क्षेत्रों में कुल 1176 स्टार्ट-अप का चयन किया गया है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) वर्ष 2016-2017 में शुरू की गई राष्ट्रीय कृषि नवाचार निधि (एनएआईएफ) नामक परियोजना के तहत कृषि आधारित स्टार्टअप की सहायता कर रही है। इसके दो भाग हैं: (I) नवाचार निधि; (II) इनक्यूबेशन निधि और राष्ट्रीय समन्वय इकाई (एनसीयू):
I. भाग I: 99 आईसीएआर संस्थानों में स्थापित 10 क्षेत्रीय प्रौद्योगिकी प्रबंधन इकाइयां और 89 संस्थान प्रौद्योगिकी प्रबंधन इकाइयां (आईटीएमयू) नवाचारों का प्रबंधन, बौद्धिक संपदा का प्रदर्शन और इन संस्थानों में बौद्धिक संपदा (आईपी) प्रबंधन और प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण/व्यावसायीकरण से संबंधित मामलों को आगे बढ़ाने के लिए एकल-खिड़की तंत्र प्रदान करती हैं।
II. भाग II: हितधारकों तक नई प्रौद्योगिकियों की डिलीवरी में तेजी लाने के लिए कृषि-व्यवसाय इनक्यूबेटर केन्द्र (एबीआईसी) स्थापित किए गए हैं। एबीआईसी मान्य प्रौद्योगिकियों के इनक्यूबेशन/व्यावसायीकरण के लिए कृषि अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) संस्थानों के लिए अपेक्षित सम्पर्क प्रदान करने के लिए प्रमुख बिंदु हैं। अब तक, एनएआईएफ योजना के तहत आईसीएआर नेटवर्क में 50 कृषि-व्यवसाय इनक्यूबेशन केन्द्र स्थापित किए गए हैं और चालू हैं।
इसके अलावा, सरकार ने 2023-24 के बजट घोषणाओं के अनुसार कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का निर्माण एक खुले स्रोत, अंतर-संचालन योग्य सार्वजनिक वस्तुओं पर खुले मानक के रूप में किया है। इन डीपीआई का उद्देश्य विभिन्न डिजिटल पहलों के माध्यम से किसान-केन्द्रित समाधान के लिए देश भर के किसानों को प्रौद्योगिकी और सूचना तक पहुंच प्रदान करना है।
कृषि और ग्रामीण उद्यम के लिए स्टार्टअप को वित्तपोषित करने के लिए मिश्रित पूंजी सहायता के लिए एक केन्द्रीय क्षेत्र योजना को मंजूरी दे दी गई है, जो कृषि उत्पाद मूल्य श्रृंखला के लिए प्रासंगिक है। तदनुसार, फंड को चालू करने के लिए नाबार्ड को एग्री श्योर के लिए प्रशासनिक मंजूरी दे दी गई है।
कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकियों के अनूठे लाभों को देखते हुए, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने दिसम्बर 2021 में सार्वजनिक क्षेत्र में कीटनाशक और पोषक तत्व अनुप्रयोग में ड्रोन के उपयोग के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है, जो ड्रोन के प्रभावी और सुरक्षित संचालन के लिए संक्षिप्त निर्देश प्रदान करती है। इस तकनीक को किसानों और इस क्षेत्र के अन्य हितधारकों के लिए सस्ती बनाने के लिए, कृषि ड्रोन और इससे संबद्ध खरीद के लिए 100 प्रतिशत की दर से वित्तीय सहायता (व्यय और इसके संबद्ध की वास्तविक लागत या 10.00 लाख रुपये, जो भी कम हो) आकस्मिक व्यय के साथ कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (एसएमएएम) के तहत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के फार्म मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थानों, कृषि विज्ञान केन्द्र (केवीके) और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (एसएयू) को और किसान के खेतों पर इसके प्रदर्शन के लिए एफपीओ को 75 प्रतिशत की दर से वित्तीय सहायता दी जाती है। ड्रोन एप्लिकेशन के माध्यम से कृषि सेवाएं प्रदान करने के लिए, मौजूदा और नए कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) और सामान्य श्रेणी के किसानों द्वारा ड्रोन खरीद के लिए ड्रोन और उसके सहायक उपकरण की मूल लागत का 40 प्रतिशत या 4 लाख रुपये, जो भी कम हो, की दर से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है और एससी/एसटी/महिलाओं/छोटे और सीमांत किसानों और कृषि स्नातकों के लिए ड्रोन और उसके सहायक उपकरण की मूल लागत का 50 प्रतिशत या 5 लाख रुपये की दर से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
इसके अलावा, सरकार ने 2023-24 से 2025-26 की अवधि के लिए 1261 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को ड्रोन प्रदान करने के लिए केन्द्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में ‘नमो ड्रोन दीदी’ को मंजूरी दी है। इस योजना का उद्देश्य कृषि उद्देश्य (उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग) के लिए किसानों को किराये की सेवाएं प्रदान करने के लिए 15000 चयनित महिला एसएचजी को ड्रोन प्रदान करना है।
यह जानकारी केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।