इस्पात की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए रणनीति और लक्ष्य
Delhi, Aug 3
भारत में इस्पात एक नियंत्रणमुक्त क्षेत्र है और इस्पात के उत्पादन के प्रकार से संबंधित निर्णय अलग-अलग इस्पात उत्पादकों द्वारा बाजार की मांग और अन्य वाणिज्यिक दृष्टिकोणों को ध्यान में रखते हुए लिए जाते हैं। इसलिए इस्पात की मांग में भविष्य में होने वाली वृद्धि दर बाजार मांग और अन्य वाणिज्यिक कारणों पर निर्भर करेगी। पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान भारत में कुल तैयार स्टील की मांग पर डेटा नीचे दिया गया है और इस पांच वर्षों की अवधि के दौरान 6.51% की मिश्रित वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) दर्शाता है।
वर्ष | कुल तैयार स्टील की मांग (एमटी) | सीएजीआर |
2018-19 | 101.29 | – |
2019-20 | 102.62 | 1.31 |
2020-21 | 96.20 | -6.26 |
2021-22 | 113.60 | 18.09 |
2022-23 | 123.20 | 8.45 |
2023-24 | 138.83 | 12.69 |
श्रोत : संयुक्त संयंत्र समिति, एमटी= मिलियन टन | औसत सीएजीआर: 6.51% |
इस्पात क्षेत्र के विकास के लिए अनुकूल नीतिगत वातावरण तैयार करने और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने निम्नलिखित पहल की है:-
- सरकारी खरीद के लिए देश में निर्मित इस्पात को बढ़ावा देने के लिए घरेलू स्तर पर निर्मित लौह और इस्पात उत्पाद (डीएमआई और एसपी) नीति का कार्यान्वयन।
- सरकार ने देश में ‘स्पेशलिटी स्टील’ के विनिर्माण को बढ़ावा देने और पूंजी निवेश को आकर्षित करके आयात में कमी लाने के लिए विशेष इस्पात के लिए उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू की है। पीएलआई योजना के अंतर्गत स्पेशियलिटी स्टील के लिए अनुमानित अतिरिक्त निवेश 29,500 करोड़ रुपये है और स्पेशियलिटी स्टील के लिए लगभग 25 मिलियन टन (एमटी) का अतिरिक्त क्षमता निर्माण है।
- इस्पात मंत्रालय ने 25.07.2024 को 16 प्रक्रिया आधारित सुरक्षा दिशा-निर्देश शुरू किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप इस्पात उद्योग को परिचालन में सुरक्षित अभ्यास का मानकीकरण करके उत्पादकता में सुधार करने में मदद मिलती है।
- आयात की ज्यादा प्रभावी निगरानी और घरेलू इस्पात उद्योग की संबंधित चिंताओं को समाप्त करने के लिए स्टील आयात निगरानी प्रणाली (एसआईएमएस) को नया रूप प्रदान किया गया है और 25.07.2024 को एसआईएमएस 2.0 शुरू किया गया।
- इस्पात की समग्र मांग और देश में इस्पात क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए मेक इन इंडिया पहल और पीएम गति-शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के साथ रेलवे, रक्षा, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, आवास, नागरिक उड्डयन, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, कृषि एवं ग्रामीण विकास क्षेत्रों सहित संभावित उपयोगकर्ताओं के साथ इस्पात उपयोग में आगे की भागीदारी को बढ़ावा।
- इस्पात निर्माण के लिए ज्यादा अनुकूल शर्तों पर कच्ची सामग्री की उपलब्धता को सुविधाजनक बनाने के लिए अन्य देशों के अलावा मंत्रालयों और राज्यों के साथ समन्वय, जो एक सतत एवं निरंतर प्रक्रिया है।
- घरेलू स्तर पर सृजित स्क्रैप की उपलब्धता बढ़ाने के लिए स्टील स्क्रैप रीसाइक्लिंग नीति की अधिसूचना।
- गैर-मानकीकृत इस्पात के विनिर्माण और आयात को रोकने और बड़े पैमाने पर लोगों के लिए गुणवत्तापूर्ण इस्पात उत्पाद उपलब्ध कराने के लिए 145 इस्पात गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों की अधिसूचना।
यह जानकारी केंद्रीय इस्पात एवं भारी उद्योग मंत्री श्री एच डी कुमारस्वामी ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।