
चेन्नई. राष्ट्रपति रामनाथ कोंिवद ने बृहस्पतिवार को कहा कि शिक्षा परिवर्तन का मुख्य स्रोत हैं और युवा सामाजिक परिवर्तन के सर्वाधिक सशक्त प्रतिनिधि हैं, ऐसे में अगर शिक्षित युवाओं को सही दिशा मिले तब इतिहासचक्र में क्रांतिकारी बदलाव लाए जा सकते हैं.
अन्ना विश्वविद्यालय के 41वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कोंिवद ने कहा, ‘‘नई शिक्षा नीत का मकसद अनुसंधान और कौशल के आधार पर आधुनिक शिक्षा प्रणाली को लागू करना है. इसमें भविष्य के दृष्टिकोण के साथ हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत भी शामिल है.’’ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि ज्ञान वह आधार स्तंभ है, जिसके आधार पर प्रत्येक व्यक्ति का चरित्र बनता है.
कोंिवद ने कहा, ‘‘परिवर्तन का प्रमुख स्रोत शिक्षा है और सामाजिक परिवर्तन का सर्वाधिक शक्तिशाली प्रतिनिधि युवा हैं . शिक्षित युवा सही दिशा मिलने पर इतिहासचक्र में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकते हैं. राष्ट्रीय शिक्षा नीति का यही मकसद है.’’ उन्होंने कहा कि नई नीति का उद्देश्य अनुसंधान, कौशल और वर्तमान आवश्यकताओं की प्रासंगिक कुशाग्रता पर आधारित आधुनिक शिक्षा प्रणाली को लागू करना है . यह नीति अपने दायरे में हमारी संपन्न सांस्कृतिक विरासत को भविष्य के परिदृश्य के साथ शामिल करेगी.
राष्ट्रपति ने कहा कि नीति का जोर नैतिक मूल्य अपनाने और भारतीय संस्कृति की समझ को प्रोत्साहित करने पर है. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस नीति के लागू होने से आधुनिक शिक्षण और शिक्षा के युग का सूत्रपात होगा. इससे अनुसंधानकर्ताओं और पेशेवर लोगों का समूह तैयार होगा, जो हमारी राष्ट्रीय आकांक्षाओँ के अनुरूप देश को विकास की महान ऊंचाई पर ले जाएंगे.
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मुझे बताया गया है कि आज स्रातक, स्रातकोत्तर और पीएचडी स्तर के एक लाख से अधिक उम्मीदवार डिग्री प्राप्त कर रहे हैं, जिनमें से लगभग 45 प्रतिशत महिलाएं हैं.’’ कोंिवद ने कहा कि कुल छात्रों में से स्वर्ण पदक और प्रथम श्रेणी प्राप्त करने वालों में आज 60 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं और यह बेहद खुशी की बात है.
उन्होंने कहा, ‘‘महिलाओं का यह शानदार प्रदर्शन विकसित राष्ट्र के रूप में भारत के भविष्य को प्रर्दिशत करता है. मैं इन बेटियों को उनकी उपलब्धियों पर बधाई देता हूं जो आगे अकादमिक और व्यक्तिगत दोनों स्तर पर भविष्य की प्रगति का मील का पत्थर है.’’ कोंिवद ने कहा कि अन्ना विश्वविद्यालय इसरो के साथ मिलकर एक उपग्रह ‘अनुसैट’ का डिजाइन, विकास और संचालन करने वाला पहला भारतीय विश्वविद्यालय है.
